चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है. 3 जनवरी को मामले अब उनको सजा सुनाई जाएगी. फैसला आने के बाद उनको गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, ध्रुव भगत, विद्यासागर निषाद सहित 6 लोगों को बरी कर दिया है. जबकि लालू सहित 16 लोगों को अदालत ने दोषी पाया है. अदालत ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में फैसला सुनाया है. अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद यादव एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक षड्यन्त्र, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) एवं 13(2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
फैसला आते ही आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा की की ओर से तुरंत प्रेस कांन्फ्रेस की गई और फैसले पर सवाल उठाए गए. आरजेडी ने कहा कि अवैध निकासी पर जिसने एफआईआर किया है उसी को जेल भेज दिया गया. इसके पीछे पूरी तरह से बीजेपी की साजिश है. हमें पूरी न्यायपालिका पर भरोसा है. इस देश को सिर्फ दो लोग चला रहे हैं.
इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है. करीब 21 साल तक चले इस मामले में इससे पहले कई पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई जा चुकी है. चारा घोटाला एक ऐसा मामला था जिसकी वजह से लालू के राजनीतिक करियर में ग्रहण लग गया है. हालांकि इस मामले में वह करीब 21 सालों तक कानूनी प्रक्रियाओं का सामना करते रहे और कई बार उनको हिरासत में लिया गया.