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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए…

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में अनुबंध आधार पर नियुक्त किए गए सेवानिवृत पटवारियों तथा कानूनगो की सेवाओं को नए पटवारियों का प्रशिक्षण पूरा होने तथा उनकी नियुक्ति होने तक जारी रखने का निर्णय लिया गया ताकि आम लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2016 तक की 45वीं वार्षिक रिपोर्ट को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत करने को मंजूरी प्रदान की। बैठक में हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवाओं (श्रेणी-1) राजपत्रित के दो पदों को सीधी भर्ती के माध्यम से नियमित आधार पर भरने को मंजूरी प्रदान की गई।सरकारी सेवाएं दे रहे कई पूर्व सैनिकों का वित्तीय लाभ बहाल कर दिया गया है। वीरवार को हुई सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में पूर्व वीरभद्र सरकार के एक और फैसले को पलटते हुए यह तय किया गया कि पूर्व सैनिकों को सेना में दी गई सेवाओं के आधार पर पे-फिक्सेशन किया जाएगा। पूर्व वीरभद्र मंत्रिमंडल ने 5 अगस्त 2017 को निर्णय लिया था कि न तो पूर्व सैनिक कोटे के कर्मचारियों को सैन्य सेवाओं की गणना करते हुए वरिष्ठता लाभ दिया जाएगा और न ही उन्हें पे फिक्सेशन का फायदा दिया जाएगा। इसके लिए मंत्रिमंडल ने डिमोबिलाइज्ड सशस्त्र बल (हिमाचल राज्य में गैर तकनीकी सेवा में रिक्तियों का आरक्षण) नियम, 1972 के नियम -5 (1) और पूर्व सैनिक (हिमाचल

राज्य में तकनीकी सेवा में रिक्तियों का आरक्षण) नियम 1985 के नियम-5(1) को हटाने के संबंध में 5 अगस्त, 2017 को आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय की समीक्षा की तथा पूर्व सैनिकों को सिविल रोजगार में वेतन निर्धारण के लाभ को बहाल करने का निर्णय लिया। यह निर्णय उन्हें वित्तीय लाभों के लिए हकदार बनाएगा।मंत्रिमंल ने हिंदु सार्वजनिक धार्मिक संस्थान एवं धर्मार्थ सावधि अधिनियम, 1984 की अनुसूचि-1 से कुल्लू जिला के रघुनाथ मंदिर सुल्तानपुर को बाहर रखने को मंजूरी प्रदान की। अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ मंदिर अधिग्रहण की प्रक्रिया को प्रदेश सरकार ने रद्द कर दिया है। इसकी सूचना पाकर देवभूमि कुल्लू के देवसमाज में खुशी का माहौल है। पूरा देव समाज गदगद हो गया है और प्रदेश सरकार का आभार जताया है। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने इसे न्याय की जीत बताया है।

उल्लेखनीय है कि जुलाई 2016 को प्रदेश सरकार ने भगवान रघुनाथ के मंदिर को ट्रस्ट बनाने का निर्णय लिया था। इसके बाद रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट ने अधिग्रहण को लेकर स्टे लगाया। बाद में पूर्व मंत्री एवं महेश्वर सिंह के अनुज कर्ण सिंह भी अदालत पहुंचे और मामले को लेकर पार्टी बने लेकिन 31 दिसंबर को याचिका के रद्द होने के बाद प्रदेश सरकार के आदेश फिर से लागू हो गया था। 31 अगस्त 2017 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा महेश्वर सिंह की रघुनाथ मंदिर के अधिग्रहण के खिलाफ दी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद 13 सितंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह की सरकार के अधिग्रहण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिग्रहण पर रोक लगा दी है।

यह रोक तब तक लगी रहनी थी जब तक सुप्रीम कोर्ट से मामले को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं आ जाता। इस संबंध में भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह  के अनुसार प्रदेश सरकार ने उन्हें न्याय दिया है जिसके वह सदैव सरकार के आभारी रहेंगे। यह पूरे देव समाज की जीत है। वहीं जिला देवी-देवता कारदार संघ के जिला अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने भी सरकार के फैसले का स्वागत किया हैहाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हिमुडा) की ओर से हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (हुडको) से लिए 36 करोड़ की लोन गारंटी देने के लिए प्रदेश सरकार तैयार हो गई है। वीरवार को मंत्रिमंडल की बैठक में 28 फरवरी, 2021 तक लोन गारंटी बढ़ाने को मंजूरी मिल गई है।
गौरतलब है कि हिमुडा ने जाठिया देवी में कालोनियों बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। जमीन का पैसा देने के लिए हुडको से लोन लिया था, जिसकी गारंटी की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2017 को खत्म हो गई थी। ऐसे में इस मामले को कैबिनेट में लाया गया था।

डिमांड ऑफ सर्वे के तहत हिमुडा ने लोगों से प्लाट और फ्लैट के लिए आवेदन मांगे थे। बाकायदा इन लोगों से 5000 रुपये सिक्योरिटी ली गई। लेकिन इन्हें फ्लैट उपलब्ध नहीं कराए गए। इन्हें बसाने के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार ने जाठिया देवी में करीब 300 बीघा जमीन खरीदी थी।  मंत्रिमंडल ने खड़ापत्थर-रोहडू़ सड़क को चौड़ा करने के अलावा 29.310 करोड़ रुपये की लागत से ठियोग-कोटखाई-खड़ापत्थर सड़क को चौड़ा करने का फैसला लिया है। इसके अलावा इसके विस्तार के बचे कार्य को पूरा करने को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बिलासपुर में एम्स के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत करने पर जयराम कैबिनेट ने आभार जताया है।

वीरवार को हुई कैबिनेट बैठक के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का आभार व्यक्त किया। वहीं सांसद अनुराग ठाकुर ने भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री का आभार जताया।भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के तहत आने वाले बिजली प्रोजेक्टों में पंजाब और हरियाणा के शेयर को बेचकर हिमाचल सरकार अपने बकाये की वसूली करेगी। वीरवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में शिमला सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल की फैसला लिया गया कि पंजाब, हरियाणा के हिस्से की बिजली बेचकर 3266 करोड़ रुपये कमाए जाएंगे।

इस फैसले के तहत अब दस साल के भीतर हिमाचल 13066 मिलियन यूनिट बिजली बेचकर अपना एरियर वसूलेगा। इस नई व्यवस्था से हिमाचल को प्रति वर्ष 200 से 250 करोड़ रुपये की आमदनी होगी। मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के अंतर ऊर्जा रिटर्न
मामले में जारी 27 सितंबर 2011 के आदेशों की अनुपालना में बीबीएमबी परियोजनाओं में बकायों के निपटारे के लिए मंजूरी प्रदान की। इस फैसले के तहत 13066 मिलियन यूनिट ऊर्जा मात्रा से राज्य को औसतन 2.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से 3266 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी।

मंत्रिमंडल ने 10 से 12 वर्ष की अवधि के भीतर पूरी अंतर ऊर्जा की वापसी के लिए पंजाब तथा हरियाणा के साथ समझौता वार्ता के लिए मंजूरी प्रदान की। मंत्रिमंडल ने भारत सरकार द्वारा अपने शपथ पत्र में की गई गणना के अनुरूप ऊर्जा की वापसी की अवधि के दौरान समान वार्षिक किश्तों में 111.53 करोड़ रुपये की देनदारी की अदायगी के लिए भी समझौता वार्ता पर सहमति जताई। यदि पंजाब और हरियाणा राज्य ब्याज सहित भुगतान की बात करते हैं तो हिमाचल प्रदेश 6 प्रतिशत प्रीमियम के साथ ऊर्जा की वापसी की बात करेगा और 13066 मिलियन यूनिट अंतर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त देनदारी नहीं होगी। मंत्रिमंडल ने पहली अक्तूबर से 31 मार्च के दौरान धान की फसल के दौरान पंजाब तथा हरियाणा में बिजली की कम आवश्यकता तथा सार्वजनिक हित में सर्दियों के महीनों के दौरान हिमाचल प्रदेश की ऊर्जा आवश्यकताओं के चलते पंजाब तथा हरियाणा से ऊर्जा वापसी के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी।

2900 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने में असमर्थ पंजाब ने हिमाचल सरकार को ऑफर दिया था कि इस बकाये की वसूली अगर हिमाचल चाहे तो अगले 20 साल तक बीबीएमबी के प्रोजेक्टों में पंजाब के हिस्से की बिजली बेचकर कर सकता है। हिमाचल सरकार ने पंजाब के इस आफर को मंजूर करते हुए 20 साल की जगह 10 साल में वसूली करने को मंजूरी दी है। हिमाचल सरकार ने अपना हिस्सा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। सुप्रीमकोर्ट से फैसला हिमाचल के पक्ष में आया। उस समय पंजाब पर बकाया 4200 बनता था लेकिन दोनों राज्यों के बीच सहमति बनीं कि हिमाचल को पंजाब 2900 करोड़ देगा।

 कैबिनेट बैठक में पेड़ों के कटान पर लगाए गए प्रतिबंध में छूट देने का निर्णय लिया गया है। यह छूट भारतीय राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण द्वारा कंडाघाट से कैथलीघाट तक राष्ट्रीय उच्च मार्ग 22 पर चार लेन के निर्माण के लिए हस्तांतरित व अधिग्रहण की गई निजी भूमि से कुछ पेड़ों व पौधों को काटने के लिए दी गई है। अभी तक मंजूरी न मिलने की वजह से पेड़ काटने का काम लटका था जिसकी वजह से प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा होने की संभावना कम हो गई थी

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