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इनकम टैक्स (आईटी) डिपार्टमेंट ने यू एंड आई वॉल्ट्स लिमिटेड पर कार्रवाई करते हुए 8 करोड़ की नगदी और ज्वेलरी समेत 85.2 करोड़ का सामान जब्त किया……..

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सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। इस ग्रुप पर बीते करीब एक हफ्ते से कार्रवाई की जा रही है। डिपार्टमेंट ने छापेमारी के बाद साउथ एक्स स्थित लॉकर कंपनी यू एंड आई वॉल्ट्स लिमिटेड को सील कर दिया है। इसे दिल्ली की सबसे बड़ी सेफ डिपॉजिट वॉल्ट कंपनी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई बड़े कारोबारी करते हैं। इसकी स्थापना 1947 में की गई थी। दिल्ली व गुड़गांव में इसके कई दफ्तर हैं। साथ ही कई देशों में इसके बिजनेस नेटवर्क फैले हैं।

आईटी डिपार्टमेंट के अफसरों के मुताबिक नोटबंदी के बाद आयकर रिटर्न व कैश डिपॉजिट को लेकर कई जानकारियां सामने आई थीं। इन जानकारियों को बैंकों ने डिपार्टमेंट के साथ शेयर किया। इसी आधार पर कार्रवाई की जा रही है। वहीं एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि यह मामला नोटबंदी के बाद कालेधन का पता लगाने से जुड़ा है।

इसलिए प्राइवेट लॉकर लेते हैं लोग: लॉकर खोलने के लिए कोई अकाउंट खुलवाने की जरूरत नहीं। बहुत कम कागजी कार्रवाई। कुछ ही समय में लॉकर की चाबी मिल जाती हैकिसी भी प्रकार का रिकॉर्ड जमा नहीं होता है। साथ ही सरकार के पास भी इस तरह की कोई जानकारी नहीं होती है। रात को 10 बजे तक इस्तेमाल कर सकते हैं और साल के 365 दिन खुले रहते हैं। लॉकर का इस्तेमाल के लिए लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता। लॉकर का इस्तेमाल करने की कोई टाइम लिमिट नहीं होती। कितनी भी बार लॉकर का इस्तेमाल किया जा सकता है। लॉकर के इस्तेमाल के लिए लोगों से 1200 से 15 हजार रुपए सालाना चार्ज भी लिया जाता है।

सरकारी/प्राइवेट बैंकों के लॉकर: ज्यादातर बैंक लॉकर खुलवाने के लिए अकाउंट खुलवाने का दबाव बनाते हैं। हालांकि, आरबीआई के मुताबिक यह जरूरी नहीं है। लॉकर खुलवाने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं।हर रिकॉर्ड बैंक में जमा होता है। आधार, पैन कार्ड जैसे कागजों से सरकार के पास जानकारी होती है। बैंक तय वक्त तक खुलते हैं। वीकेंड के अलावा साल में कई छुट्टियां भी होती हैं।लॉकर का इस्तेमाल करने के लिए कई बार काफी वक्त तक बैंक में बैठना पड़ता है।

ज्यादातर बैंक एक साल में सिर्फ 12 बार ही लॉकर का इस्तेमाल करने देती हैं। उसके बाद लोगों से चार्ज वसूलते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में लॉकर लेने पर 800 से 8000 रुपए तक सालाना चार्ज लगता है।एक नवंबर, 2016 को बेनामी कानून लागू किया गया था। इसके बाद से अब तक देशभर में बेनामी प्रॉपर्टी पर कार्रवाई की गई। इसके तहत 3500 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त की जा चुकी है।

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