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चारा घोटाला: एक गवाह के बयान ने दिलाई लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा….

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पटना: पिछले एक महीने में रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाले के दो अलग-अलग मामलों में फैसला सुनाया. दोनों ही मामलों में आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव को सजा हुई. फिलहाल लालू यादव रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं. पिछले हफ्ते रांची की सीबीआई कोर्ट के फैसले से लालू यादव और उनके वक़ील खासे परेशान हैं. जज स्वर्ण शंकर प्रसाद ने चाईबासा ट्रेजरी केस में 326 पेज के फैसले में विस्तार से सीबीआई द्वारा पेश किए गए गवाहों के बयान की चर्चा की है, जो कोर्ट के फैसले में लालू समेत अन्य राजनेताओं को दोषी और सज़ा देने में निर्णायक सबूत माना गया है. इसमें सबसे महत्‍वपूर्ण गवाही दीपेश चंडोक की है जिसका जिक्र अदालत ने अपने आदेश में विस्‍तारपूर्वक किया है कि कैसे लालू को पैसे मिले. अदालत ने चाईबासा ट्रेजरी मामले में लालू को पांच साल कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

  1. इस मामले में सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाला हैं आरोपी और फिर सरकारी गवाह बने दीपेश चंडोक का धारा 164 के तहत रिकॉर्ड किया गया बयान. इस बयान में चंडोक ने बताया था कि पूरे घोटाले में पैसों की कैसे बंदरबांट हुई थी. उसकी ना केवल विस्तार से चर्चा की कि बल्कि सबूत भी अदालत को दिए. चंडोक को इस चारा घोटाले के मास्‍टरमाइंड स्वर्गीय डॉक्टर श्याम बिहारी सिन्हा का विश्वासपात्र माना जाता था.
  2. चंडोक के अनुसार, इस पूरे घोटाले का करीब-करीब 55 से 60 करोड़ की राशि लालू यादव को दी गई, जिसमें से अधिकांश पैसा चंडोक के मार्फ़त शुरू में लालू के करीबी डॉक्टर आर के राणा या अभी के सांसद प्रेम गुप्ता के माध्यम से दिया गया.
  3. 1990 में जब लालू यादव पहली बार जनता दल में विधायक दल के नेता का चुनाव लड़ रहे थे तब भी सिन्हा ने लालू यादव को पांच लाख रुपये दिए.
  4. चंडोक के अनुसार, जब चारा घोटाले के संबंध में जनवरी 1996 में छापेमारी शुरू हुई, तब सिन्हा लालू यादव से जाकर मिले. जहां लालू यादव ने उन्हें ये आश्‍वासन दिया कि जांच 95-96 के बीच हुए घोटाले तक सीमित रहेगी. इसके बदले सिन्हा ने लालू यादव को दस करोड़ रुपये देने का वादा किया था. सिन्हा ने तत्काल चंडोक को एक करोड़ का इंतजाम करने का निर्देश दिया.
  5. सिन्हा लालू के वादे से इसलिए खुश थे कि वह पशुपालन विभाग से दिसंबर 1994 में रिटायर हो चुके थे और वहीं दीपेश चंडोक की फर्म ने फरवरी 1995 के बाद कुछ सप्लाई का काम नहीं किया था. फिर चंडोक के अनुसार सिन्हा ने उन्हें बताया कि दस करोड़ पटना में महेंद्र प्रसाद और त्रिपुरारी मोहन प्रसाद नामक दूसरे सप्लायर ने लालू के करीबी डॉक्टर आर के राणा को दे दिए थे.
  6. चंडोक के बयान का जिक्र कोर्ट ने फैसले की शुरुआत में किया है. उसके अनुसार, पैसा राणा के मार्फ़त दिया गया. राणा शुरू से लालू के करीबी रहे. 1995 में जनता दल की टिकट पर विधायक और 2006 में लोकसभा सदस्य भी बने. फिलहाल राणा भी जेल में लालू यादव के साथ बंद है.
  7. कोर्ट ने अपने फैसले में चंडोक के बयान को आधार बनाते हुए कहा हैं कि पैसे के बदले इस मामले में साजिशकर्ता और मुख्य आरोपियों को ना केवल सेवा का विस्तार दिया गया. बल्कि उनके खिलाफ कार्रवाई को लालू प्रसाद यादव ने मुख्‍यमंत्री के दबदबे के चलते रोका.
  8. निश्चित रूप से फैसले में पैसे के खेल के इतने विस्तार से चर्चा पर लालू यादव के वकीलों की परेशानी बढ़ गई हैं. इससे पूर्व भी देवघर कोषागार मामले में भी अदालत ने इस बात का साफ़ उल्लेख किया था कि लालू यादव ने मामला उजागर होने पर भी अधिकारियों को निर्देश दिया था कि सभी तथ्यों की जांच होने के बाद ही केस दर्ज किया जाए. इसका मतलब यह था कि वह अपने चहेते अधिकारियों को बचाना चाहते थे.
  9. पिछले हफ्ते के फ़ैसले से लालू यादव के समर्थक भी मानते हैं कि पैसे की लेन-देन का जिक्र जिस तरह से अदालत ने फैसले में किया है उससे लालू की ज़मानत याचिका पर प्रतिकूल असर पर पड़ सकता है.

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