आजकल सबसे ज्यादा यही शिकायत सुनने को मिलती है कि नींद ढंग से नहीं आती। इसे इनसॉम्निया के नाम से भी जाना जाता है। नींद ना आने के कई कारण हो सकते हैं। बिगड़ती जीवनशैली और असमय खान-पान नींद ना आने के मुख्य कारणों में से एक है। कई रोगों व दवाओं के कारण भी नींद आने में परेशानी होती है। इसके अलावा तनाव, अवसाद और लंबी बीमारी आदि बहुत से कारण हैं, जो नींद उड़ा सकते हैं। कारण कोई भी हों, पर ये तय है कि लंबे समय तक नींद पूरी ना होने से शरीर में कईरोग घर बना लेते हैं, इसलिए असमय कई रोगों की गिरफ्त में आने से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेना जरूरी होता है। स्लीप एप्नियाजब सोते समय व्यक्ति की सांस अचानक रुक जाती है तो उस स्थिति को स्लीप एप्निया कहा जाता है। यह सबसे गंभीर स्लीपिंग डिसॉर्डर में से एक है। समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो सोते समय मरीज की सांस बार-बार रुकने लगती है। हालांकि यह बहुत कम सेकेंड के लिए होता है, पर दिमाग और बाकी हिस्सों तक पर्याप्त ऑक्सीजन न पहुंच पाने के कारण नींद खुल जाती है। स्लीप एप्निया भी दो प्रकार का होता है ज्यादातर लोगों में यही स्लीपिंग डिसॉर्डर देखने को मिलता है। सोते समय गले के पिछले हिस्से में मौजूद टिश्यू आपस में जुड़ने लगते हैं, इससे सांस की नली में बाधा आने पर नींद टूट जाती है।
इस स्थिति में सांस की नली में अवरोध उत्पन्न नहीं होता, लेकिन दिमाग शरीर को सांस लेने के लिए संकेत देना भूल जाता है। डिप्रेशन यानी अवसाद। अवसाद नींद ना आ पाने की बड़ी वजहों में से एक है। जब हम तनाव में होते हैं तो मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे में गहरी नींद आने में परेशानी होने लगती है। इसमें भी गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं चल पाता कि वे अवसाद से पीड़ित हैं। सही समय पर ध्यान ना देने के कारण उनमें चिड़चिड़ाहट, भूख ना लगना, अकारण गुस्सा आना और नींद ना आना जैसी समस्याएं भी जन्म लेने लगती हैं।
किसी लंबी बीमारी से पीड़ित होने पर भी नींद में बाधा होने लगती है। गठिया व जोड़ों के कई तरह के दर्द में रात के समय ही दर्द ज्यादा होने लगता है। साइनस, ब्रोन्काइटिस आदि सांस से जुड़ी समस्याओं में भी नींद आने में परेशानी होने लगती है। शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने पर होने वाली घबराहट और बेचैनी भी नींद की गुणवत्ता पर असर डालते हैं विभिन्न शोध बताते हैं कि देर रात तक टीवी, कंप्यूटर, और मोबाइल फोन पर समय बिताने के कारण नींद का पैटर्न गड़बड़ा रहा है। बढ़ता स्क्रीन समय बड़े-बच्चों सभी में दिन-रात के तालमेल को बिगाड़ रहा है। स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी उपकरण बंद करने के बाद भी दिमाग को जगाए रखती है। नींद नहीं आती है तो सोने से एक घंटा पहले गैजेट्स से दूरी बना लेना जरूरी होता है।
कैफीन नींद को भगा देती है। चाय व कॉफी में कैफीन काफी मात्र में होती है, जो उत्प्रेरक का काम करती है। सोने से तुरंत पहले इन्हें लेना नींद में बाधा उत्पन्न करता है। यहां तक कि जिन लोगों को नींद ढंग से नहीं आती, उन्हें सोने सेछह घंटे पहले कैफीनयुक्त पदार्थो को ना लेने की सलाह दी जाती है। एल्कोहल या सिगरेट का अधिक सेवन भी नींद उड़ा देता है। एल्कोहल सीडेटिव का काम भी करती है, जिससे गहरी नींद नहीं आती। हमारा दिमाग उन्हीं संकेतों के अनुसार प्रतिक्रिया देता है, जैसे संकेत उसे हम देते हैं। जब सोने का कोई समय निर्धारित नहीं होता तो शरीर समझ ही नहीं पाता कि अब उसे आराम की जरूरत है। सोने का एक निश्चित समय तय करना बहुत जरूरी है।
व्यायाम न करना भी नींद न आने का एक कारण है। गहरे सांस लेने व छोड़ने का अभ्यास करना भी शरीर की मांसपेशियों को सुकून देता है। रात में बायीं करवट लेटकर, दाएं नथुने को दबाकर बायीं ओर से सांस लेने का अभ्यास करें। इसी तरह कमर के बल लेट कर, गहरे सांस लेते हुए पैर की उंगलियों को संकुचित करते हुए कड़ा करने और फिर ढीला छोड़ देने से भी मांसपेशियों को राहत मिलती है और नींद आने में मदद मिलती है। नींद ना आना एक गंभीर समस्या है, पर बहुत हद तक इसका इलाज हमारे हाथों में ही है। स्लीपिंग डिसॉर्डर से पीड़ित लोगों में ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, वजन बढ़ना, शुगर, उच्च रक्तचाप जैसे रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए अगर हम अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करें तो समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
- सोने से पहले ठंडे पानी से मुंह, हाथ और पैर धोकर ही बिस्तर पर सोने जाएं। रोजाना एक निश्चित समय पर ही सोने जाएं। छुट्टी के दिन भी इसी समय का पालन करें। हमेशा साफ-सुथरे और करीने से लगे बिस्तर पर ही लेटें, इससे भी अच्छी नींद आने में मदद मिलती है। सोने से पहले किसी भी प्रकार के कैफीनयुक्त पेय का सेवन ना करें। गर्म दूध पीकर सोने की आदत डालें। सोने के कमरे में रोशनी बहुत तेज नहीं होनी चाहिए। चाहें तो एक नाइट लैंप जला लें। सोने से कम से कम एक घंटा पहले टीवी और कम्प्यूटर बंद कर दें। मोबाइल का इस्तेमाल भी ना करें। जिस कमरे में आप सोते हों, वहां का तापमान अत्यधिक गर्म या ठंडा नहीं होना चाहिए।
- रात का भोजन सोने से कम से कम दो घंटे पहले जरूर कर लें, ताकि वह आसानी से पच जाए। यदि व्यायाम करने का शौक है तो रात में भारी कसरत करने से बचें। सोने से पहले हल्का संगीत सुनें। कोशिश करें कि दिन में आप ना सोयें। ऐसा करने से रात को जल्दी नींद आ जाएगी। बिना किसी शारीरिक श्रम के भी नींद नहीं आती, क्योंकि हमारे शरीर को थकान होने पर ही आराम करने की दत होती है। इसलिए पूरे दिन बैठ कर काम करने की बजाय थोड़ा चलते-फिरते भी रहें। कमरे का तापमान 30 डिग्री के आसपास रखें। बहुत अधिक ठंड या गर्माहट होने पर भी नींद नहीं आती।