सोमवार, 26 फरवरी को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस एकादशी को रंगभरी ग्यारस और आमलकी एकादशी कहा जाता है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य का अध्याय है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सालभर की सभी एकादशियों का महत्व युधिष्ठिर को बताया है। एकादशी पर किए जाने वाले व्रत-उपवास, पूजा-पाठ से सभी पाप नष्ट हो सकते हैं। यहां जानिए सोमवार और एकादशी के योग में कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं।
ये है व्रत करने की सामान्य विधि
एकादशी की सुबह स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, अगर ये संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
इसके बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद चरणामृत ग्रहण करें। भगवान को फूल, धूप, नैवेद्य आदि सामग्री चढ़ाएं। दीपक जलाएं।
विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। व्रत की कथा सुनें। दूसरे दिन यानी द्वादशी पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
एकादशी पर कर सकते हैं ये उपाय भी
1.किसी मंदिर जाएं और ध्वज यानी झंडे का दान करें।
2.शिवजी के सामने दीपक जलाएं और श्रीराम नाम का जाप 108 बार करें।
3.शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, काले तिल चढ़ाएं।
4.एकादशी पर सूर्यास्त के बाद हनुमानजी के सामने दीपक जलाएं और सीताराम-सीताराम का जाप 108 बार करें।
5.सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं।
6.विष्णुजी के साथ ही महालक्ष्मी की पूजा भी करें। पूजा में गोमती चक्र, पीली कौड़ी, दक्षिणावर्ती शंख अवश्य रखें।