मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार सुझावों के अनुसार सहकारिता नियमों के बदलाव लाएगी। जो नियम पुराने हो चुके हैं और विकास में बाधा बन रहे हैं, उन्हें हटाया जाएगा। सीएम सोलन में हिमाचल प्रदेश में सहकारिता आंदोलन 21वीं शताब्दी की चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर राज्यस्तरीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हिमाचल सहकारिता क्षेत्र में पिछड़ गया है।
इस क्षेत्र को लाभप्रद एवं सकारात्मक वृद्धि देने वाला बनाना होगा। इस क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। मौजूदा समय में करीब दस लाख लोग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हैं। कहा कि ऐसे सम्मेलन नियमित अंतराल पर करवाए जाने चाहिए। यदि सभी राजनीतिक दल एक विषय पर एकमत हों तो प्रदेश के विकास को गति मिलेगी। कहा कि कृषि तथा बागवानी क्षेत्र सरकार की प्राथमिकता है। सहकार भारती के संरक्षक डॉ. सतीश मराठे ने कहा कि सहकारी सभाओं को पुन: जीवंत करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में 8.50 लाख सहकारी समितियां पंजीकृत हैं।
इन समितियों की कुल सदस्यता 28 करोड़ से अधिक हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सहकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि प्रथम राष्ट्रीय सहकारी समिति वर्ष 1892 में ऊना जिले के पंजावर में आरंभ हुई थी। इस दौरान प्रदेश लोक निर्माण विभाग कनिष्ठ अभियंता संघ की सोलन इकाई ने मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 21 हजार रुपये का चेक भेंट किया। डॉ. आरएन बत्ता, परमजीत सिंह पम्मी, केएल ठाकुर, पवन राणा, त्रिलोक जम्वाल, डेजी ठाकुर, पुरुषोत्तम गुलेरिया, रतन पाल, रश्मिधर सूद, पवन गुप्ता, रितु सेठी, राकेश शर्मा, देवेंद्र ठाकुर, मीरा आनंद, विनोद कुमार, मोहित चावला, चमन दिल्टा, रीमा कश्यप, कैप्टन आरएस राठौर और एसके रांगड़ा।