Home राष्ट्रीय चारा घोटाला: लालू यादव की बढ़ सकती है मुश्किलें….

चारा घोटाला: लालू यादव की बढ़ सकती है मुश्किलें….

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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर 96 फर्जी वाउचर के जरिए दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार (ट्रेजरी) से 3 करोड़ 76 लाख की अवैध निकासी का आरोप है. इस मामले में सीबीआई कोर्ट आज फैसला सुना सकती है

 बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भले ही बिहार की एक लोकसभा सीट और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीतकर खुश हों लेकिन उनकी मुश्किलें आज और बढ़ सकती है. रांची की सीबीआई अदालत चारा घोटाला के चौथे मामले में फैसला सुना सकती है. कोर्ट ने 5 मार्च को सुनवाई पूरी करते हुए  सजा सुनाने के लिए 15 मार्च की तारीख मुकर्रर की थी.

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर 96 फर्जी वाउचर के जरिए दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार (ट्रेजरी) से 3 करोड़ 76 लाख की अवैध निकासी का आरोप है. ये पैसे जानवरों के खाने के सामान, दवाओं और कृषि उपकरण के वितरण के नाम पर निकाले गए थे. उस दौरान पैसे के आवंटन की सीमा अधिकतम एक लाख 50 हजार ही थी. जब यह निकासी हुई थी लालू उस समय मुख्यमंत्री थे. इस मामले में लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 31 आरोपी हैं.

लालू पर चारा घोटाले के 6 मामले दर्ज हैं. तीन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को चार घोटाले के पहले मामले में साल 2013 में पांच साल की सजा सुनाई गई थी। इस घोटाले के दूसरे मामले में लालू को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। तीसरे मामले में उन्हें चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के लिए 24 जनवरी को दोषी ठहराया गया था और पांच साल की सजा दी गई। लालू फिलहाल रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं.

लालू के जेल जाने के बाद उनकी विरासत उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव संभाल रहे हैं. उन्होंने लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में बुधवार को मिली जीत के बाद ट्वीट कर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया. आरजेडी चारा घोटाला में हुई जांच को बीजेपी का षड्यंत्र बताती रही है. पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, ”आपने ‘लालू’ को नहीं एक विचार को क़ैद किया है. यही विचार और धारा आपके अहंकार को चूर-चूर करेगी. हमने जनता की अदालत में बड़ी विनम्रता से अपनी बात रखी. जनता के प्यार ने विनम्रता और शक्ति प्रदान की है बाक़ी लोकतंत्र में जीत-हार चलती रहती है.

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