निजी स्कूलों में किताबेें, बैग और बच्चों की स्कूल ड्रेस के नाम पर अभिभावकों से मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधक साढे़ तीन सौ रुपये से 800 रुपये तक की अलग से ट्यूशन फीस वसूल रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधक बच्चों से स्कूल की बसों में आने-जाने का किराया भी मनमर्जी से वसूल कर रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधकों पर शिकंजा कसने में सरकार के साथ-साथ प्रशासन भी नाकाम दिखाई दे रहा है।
बच्चों के अभिभावकों के विरोध के बावजूद निजी स्कूलों के मनमाने रवैये पर अंकुश नहीं लगा है। जिला प्रशासन सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं। उच्च शिक्षा उपनिदेशक भूप सिंह का कहना है कि विभाग से उन्हें मात्र निजी स्कूलों को एनओसी देने के आदेश हैं। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों की फीस को लेकर उन्हें कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। उन्होंने अभिभावकों से बच्चों को निजी स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की अपील है।