Home राष्ट्रीय चारा घोटाले के एक और मामले में बहस…

चारा घोटाले के एक और मामले में बहस…

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चारा घोटाले के दुमका कोषागार मामले में लालू यादव के केस में सजा पूरी हो गई है. लालू की तरफ से वकील प्रभात कुमार ने उनके गिरते स्वास्थ्य का हवाला देकर कम सजा देने की अपील की है.

बता दें कि चारा घोटाले के चौथे मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया. इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया गया.न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 तक दुमका कोषागार से फर्जी तरीके से 3.13 करोड़ रुपये निकालने के मामले में यह फैसला सुनाया. यह फैसला पहले 15 मार्च को सुनाया जाना था, जिसे चार बार पहले भी आगे बढ़ा दिया गया था.

न्यायाधीश ने अपना फैसला वर्णानुक्रम के अनुसार सुनाया, लेकिन लालू यादव फैसला सुनाने के बाद अदालत पहुंचे. मिश्रा हालांकि सजा सुनाने के वक्त अदालत में मौजूद थे.आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की किडनी में स्टोन है. उन्हें इलाज के लिए एम्स भेजा जा सकता है. रांची के रिम्स अस्पताल में अभी उनका इलाज चल रहा है. हालांकि उन्हें एम्स भेजे जाने पर फैसला रिम्स प्रबंधन को लेना है.

लालू प्रसाद ने शनिवार को कब्ज होने की शिकायत की थी, जिसके बाद उन्हें यहां के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में भर्ती कराया गया. सजा सुनाये जाने के समय उनके वकील अदालत में मौजूद थे. सजा सुनाये जाने के बाद लालू यादव आगे के इलाज के लिए रिम्स वापस लौट गए. चारा घोटाला का यह दूसरा मामला है जिसमें मिश्रा को बरी किया गया है. लालू प्रसाद और मिश्रा दोनों चारा घोटाला के पांच मामलों का सामना कर रहे हैं.

चारा घोटाला में पहली बार 1996 में मामला दर्ज किया गया था. उस समय मामले में 49 आरोपी थे. मुकदमे के दौरान 14 की मौत हो गई. अदालत ने सोमवार को 31 आरोपियों में से 19 को दोषी करार दिया और 12 को बरी कर दिया.मिश्रा के अलावा ध्रुव भगत, आर.के. राणा और जगदीश शर्मा जैसे राजनीतिज्ञों को बरी किया गया.

लालू प्रसाद को वर्ष 2013 में चारा घोटाले के पहले मामले में पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी. उन्हें 23 दिसंबर 2017 को इसके दूसरे मामले में दोषी ठहराया गया था और साढ़े तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी. वहीं चारा घोटाले के तीसरे मामले में उन्हें 24 जनवरी को पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी.वर्ष 2000 में बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद चारा घोटाले से जुड़े सारे मामलों को रांची स्थानांतरित कर दिया गया था.

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