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बॉल टेंपरिंग: कम सजा से गुस्से में हरभजन, ICC को दिलाई भारत से पक्षपात की याद…

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ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों द्वारा रणनीतिक तौर पर बॉल टेंपरिंग करने की चारों ओर आलोचना हो रही है. इस विवाद में भारतीय खिलाड़ी हरभजन सिंह भी कूद पड़े हैं. उन्होंने इस मामले में एक ट्वीट कर आइसीसी को कठघरे में खड़ा किया है.

बता दें कि बॉल टेंपरिंग विवाद के बाद आईसीसी ने ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ को एक टेस्ट मैच के लिए निलंबित किया है. स्मिथ पर मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया गया है.

स्मिथ के अलावा ऑस्ट्रेलियाई टीम के ओपनिंग बल्लेबाज कैमरन बेनक्रॉफ्ट को आईसीसी ने 3 डिमेरिट अंक दिए हैं. साथ ही उन पर मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना लगाया है.इन खिलाड़ियों को मिली सजा की मात्रा से टर्बनेट के नाम से मशहूर हरभजन सिंह खुश नहीं हैं. उन्होंने इस सजा पर आइसीसी पर तंज कसा है. हरभजन ने कहा है, ‘वाह आइसीसी. अद्भुत फैसला और गजब की निष्पक्षता दिखाई. सारे सबूत बैनक्रॉफ्ट के खिलाफ होने के बावजूद उस पर कोई बैन नहीं लगाया. 2001 में तो हमारे छह खिलाड़ियों के खिलाफ कोई सबूत न होने के बावजूद ज्यादा अपील करने पर बैन लगाया था. और 2008 का सिडनी टेस्ट याद है? गलती नहीं पाई गई, फिर भी तीन मैचों के लिए बैन लगाया. आपके पास अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग नियम हैं.’

हालिया बॉल टेंपरिंग विवाद में आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेविड रिचर्डसन ने कहा, ‘ऑस्ट्रेलियाई टीम के नेतृत्व समूह द्वारा ऐसा आचरण खेल भावना के विपरीत है और गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है.’ उन्होंने कहा, ‘कप्तान होने के नाते स्टीव स्मिथ अपने खिलाड़ियों की हरकत के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं और उन्हें निलंबित करना सही होगा.’ उन्होंने कहा, ‘खेल के नियमों पर कड़ाई से अमल किए जाने की जरूरत है. पिछले कुछ सप्ताह में हमने गंदी छींटाकशी, अंपायरों के फैसले पर विरोध, वॉकऑफ, गेंद से छेड़खानी और मैदान के बाहर औसत बर्ताव के वाकये देखे.’

आपको बता दें कि बेनक्रॉफ्ट ने गेंद को एक तरफ से खुरदरा करने के लिए सैंडपेपर का इस्तेमाल किया था, ताकि गेंदबाजों को स्विंग मिले. विवाद के बाद स्टीव स्मिथ को ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी छोड़नी पड़ी है, उनके अलावा डेविड वॉर्नर को भी टीम की उप-कप्तानी से इस्तीफा देना पड़ा है. घटना के कुछ ही घंटे बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सीए से स्टीव स्मिथ को कप्तानी से हटाने के लिए कहा था.

 भज्जी जिन मामलों का जिक्र कर रहे हैं, वे कई क्रिकेट प्रेमियों को याद होंगे. 2001 में भारत दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर था. इसमें 16 से 20 नवंबर के बीच हुए टेस्ट मैच में भारत के छह खिलाड़ियों को ज्यादा अपील करने की वजह से बैन झेलना पड़ा था. यह फैसला इंग्लैंड के मैच रेफरी माइक डेनेस ने लिया था. इनमें सचिन तेंदुलकर को बॉल टेंपरिंग के लिए 1 मैच का सस्पेंशन, वीरेंद्र सहवाग को अत्यधिक अपील के लिए 1 मैच का बैन, तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली को अपने खिलाड़ियों का व्यवहार नियंत्रित न कर पाने के लिए एक टेस्ट और दो वनडे मैच का सस्पेंशन, हरभजन सिंह को अत्यधिक अपील के लिए 1 मैच का सस्पेंशन, शिव सुंदर दास को अत्यधिक अपील के लिए 1 मैच का सस्पेंशन और दीप दासगुप्ता को अत्यधिक अपील के लिए 1 मैच का सस्पेंशन झेलना पड़ा था. काफी विवाद के बाद सहवाग को छोड़कर बाकी खिलाड़ियों की सजा हटा ली गई थी. बीसीसीआई और क्रिकेट साउथ अफ्रीका के विरोध के बाद अगले मैच में डेनेस को स्टेडियम में नहीं घुसने दिया गया था. इसके बाद आईसीसी ने अगले टेस्ट मैच को दोस्ताना मैच घोषित कर दिया था. सहवाग को एक मैच का बैन झेलना पड़ा था.

जनवरी 2008 में भारत के ऑस्ट्रेलिया टूर के दौरान हरभजन सिंह और एंड्रयू साइमंड्स के बीच ‘मंकीगेट’ विवाद हुआ था. सिडनी टेस्ट के दौरान साइमंड्स ने भज्जी पर नस्ली टिप्पणी का आरोप लगाया था. इसके लिए उन पर लेवल 3 के चार्ज लगाए गए. उन्हें तीन टेस्ट मैचों के लिए बैन किया गया और मैच फीस का 50 फीसदी जुर्माना भी लगाया गया. बीसीसीआई के विरोध और सचिन तेंदुलकर की गवाही के बाद जज हेनसन ने हरभजन पर लगा बैन हटा लिया था. बाद में साइमंड्स को अपना आरोप वापस लेना पड़ा था.

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