ऊना: रख हौसला वो मंजर भी आएगा। प्यासे के पास चलके समंदर भी आएगा। थक कर न बैठ ए मंजिल के मुसाफिर, मंजिल मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा। यह पंक्तियां उन दिव्यांगों के लिए हैं, जिन्होंने कुदरत से मिले दर्द के बावजूद हौसलों की उड़ान भरना नहीं छोड़ा। बल्कि अपने व परिवार का सहारा बनने की ललक को मंजिल तक पहुंचाने के प्रयास किए। इन्हीं हौसलों की उड़ान को पंख लगाने की पहल ऊना में डीसी विकास लाबरू की एक नई सोच ने की।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी ऊना दौरे के दौरान शुभकामनाएं देकर प्रशासन की इस पहल को सराहा है। डीसी के प्रयासों से मिनी सचिवालय ऊना के परिसर में पहल नाम से एक कैंटीन शुरू की गई है। इस कैंटीन का संचालन पूरी तरह से उन दिव्यांगों को सौंपा गया है, जो हिम्मत हार रहे थे। दिव्यांगों को चिन्हित कर कूफरी में कैंटीन चलाने की करीब एक माह की विशेष ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग से लौटे इन दिव्यांगों के लिए फूड कैंटीन में स्वरोजगार देने की व्यवस्था की गई है।
पहल नाम से खोली गई इस कैंटीन में कुल 6 दिव्यांग युवकों को रोजगार दिया गया है। घर के पास बेहतरीन रोजगार मिलने के साथ-साथ यह मालिक की हैसियत से काम कर रहे हैं। ये युवक दसवीं पास हैं, इसके बाद इन्हें विकलांग पुनर्वास केंद्र के माध्यम से ट्रेनिंग करवाई है। कुल दस युवक ट्रेनिंग करके आए हैं। इनमें से दो को रोजगार मिल चुका है।
जिन छह दिव्यांगों को पहल में तैनात किया गया है, उनमें से दो को सुनने में, दो को चलने में व दो को देखने में दिक्कत है। कैंटीन में अमनदीप सिंह, राजेश कुमार, शिव, पंकज, मनोज व देसराज अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस कैंटीन को बनाने में जिलाधीश के निर्देश पर चिंतपूर्णी मंदिर ट्रस्ट, मुख्यालय के कुछ बैंक व जिला के कुछ उद्योग सहायक बने हैं।
मंगलवार सुबह अचानक कैंटीन में पहुंचे आला अधिकारियों को देखकर कैंटीन में काम कर रहे दिव्यांगों के चेहरे पर खुशी झलक उठी। बड़े-बड़े अधिकारियों का इन दिव्यांगों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से स्वागत किया। कैंटीन में डीसी विकास लाबरू के अलावा, एडीसी कृतिका कुलहरी, एसपी दिवाकर शर्मा, एसडीएम पृथीपाल सिंह, एसी टू डीसी विनय मोदी व इंडस्ट्री जीएम अंशुल धीमान ने पहुंचकर दिव्यांगों का हौसला बढ़ाया।
पहल कैंटीन में पुनर्वास से चयनित दिव्यांग युवक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यही कैंटीन का संचालन करेंगे। हमने व्यवस्था पूर्ण कर दे दी है। लाभ काम करने वाले दिव्यांगों में ही बंटेगा। यह प्रयास सफल हुआ, तो जिला के अन्य स्थानों पर भी पहल कैंटीन खोली जा सकती है।