स्टडी में यह पाया गया कि जिन लोगों ने ज्यादा विपश्यना की यानी ज्यादा ध्यान लगाया उनकी कम ध्यान लगाने वाले लोगों के मुकाबले बोध क्षमताएं और फिटनेस ज्यादा समय तक बरकरार रही
इस भागदौड़ भरी लाइफ में हर कोई खुद को फिट रखना चाहता है. हर वर्ग के लोग इसके लिए टाइम निकालते हैं और जिम, एक्सरसाइज और वॉक जैसे तरीके अपनाते हैं. लेकिन खुद को फिट रखने की सबसे बड़ी चुनौती ढ़लती हुई उम्र के लोगों के लिए होती है. आमतौर पर इस उम्र में लोगों को भूलने की बीमारी भी शुरू हो जाती है. एक हालिया स्टडी में पता चला है कि रोज कुछ मिनटों तक ध्यान लगाकर ढलती उम्र में चुस्त और केंद्रित रहने में मदद मिल सकती है. यानि उम्र बढ़ने के साथ आपकी बौद्धिक क्षमता कम नहीं होती है.
कॉग्निटिव एनहेंसमेंट मैगजीन में प्रकाशित एक स्टडी में तीन महीने तक पूर्णकालिक विपश्यना प्रशिक्षण लेने के बाद लोगों को उससे मिलने वाले फायदों का आकलन किया गया है. साथ ही इस बात का भी आंकलन किया गया है कि क्या ये फायदे सात साल बाद भी बरकरार रहेंगे.
अमेरिका के डेविस में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने 30 लोगों की बुद्धि क्षमताओं का आंकलन किया जिन्होंने अमेरिका के एक विपश्यना केंद्र में तीन महीने तक विपश्यना का प्रशिक्षण लेने के बाद रोज ध्यान लगाया.
इस स्टडी में यह पाया गया कि जिन लोगों ने ज्यादा विपश्यना की यानी ज्यादा ध्यान लगाया उनकी कम ध्यान लगाने वाले लोगों के मुकाबले बोध क्षमताएं और फिटनेस ज्यादा समय तक बरकरार रही और उनमें बढ़ती उम्र के साथ याद रखने की क्षमताएं कम होने की आदतें भी नहीं देखी गईं.