पुराणों और शात्रों में हर माह का अलग-अलग महत्व बताया गया है। पुराणों में बताया गया है कि वैशाख माह में जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है और पूजा उपासना करता है वह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। इस साल वैशाख 1 अप्रैल से शुरू हुआ और 30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा तक रहेगा। वैशाख के देवता मधुसूदन हैं।
स्कंद पुराण में वैशाख मास का महत्व-
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि महीरथ नामक राजा ने केवल वैशाख स्नान से ही वैकुण्ठधाम प्राप्त किया था। इस माह में व्रत रखने वाले को प्रतिदिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी तीर्थस्थान, सरोवर, नदी, कुएं या जलाशय में जाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। सूर्य को जल देने के समय ये मंत्र पढ़ना चाहिए-
वैशाखे मेषगे भानौ प्रात: स्नानपरायण:।
अर्ध्य तेहं प्रदास्यामि गृहाण मधुसूदन।।
1- इस महीने में तेल लगाना, दिन में सोना, कांसे के बर्तन में भोजन करना, दो बार भोजन करना, रात में खाना आदि वर्जित माना गया है।
2- पंखा, खरबूजा एवं अन्य फल, अनाज आदि का दान करना चाहिए।
3- वैशाख मास में जलदान का विशेष महत्व है। इस महीने में प्याऊ की स्थापना करवानी चाहिए।
4- व्रत करने वाले को एक समय भोजन करना चाहिए।
5- वैशाख व्रत महात्म्य की कथा सुननी चाहिए तथा ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।