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ए भारत के सपने को साकार करने के लिये नए विचार अनिवार्य : उपराष्ट्रपति…

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ख्यमंत्री का जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये प्रभावी कदमों पर बल
भारत के उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि नए भारत का सपना केवल नवीन विचारों तथा उन्हें वास्तविकता में बदलने के लिये नए तरीकों के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से ही पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि नया भारत एक वैज्ञानिक भारत होगा, एक तकनीकी भारत होगा।
वह राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर के सभागार में आज कैरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी हमीरपुर द्वारा आयोजित 9वीं भारतीय युवा कांग्रेस के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान कांग्रेस जैसे मंच युवा दिमाग को ज्ञान, सूचना को सांझा करने तथा नए विचारों के साथ प्रेरणा प्राप्त करने में सक्षम होंगे, जो भविष्य के भारत को शक्ति प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को जबाब देने के बजाय ‘खोज’़ को लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि विज्ञान पाठयक्रम का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण सबूतों पर निर्भर करता है तथा प्रासंगिक प्रश्नों को उठाता है और जवाब मांगता है, वह आंतरायिक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्मेलन हमारे युवाओं के मध्य वैज्ञानिक सोच के माध्यम से और उन्नति तथा विकास में मदद करेगा।
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण तथा हरित आवरण बढ़ाने के क्षेत्र में राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोग अपने दृष्टिकोण तथा कार्य में सुंदर व निपुण हैं और उनसे इस परम्परा को जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मां, अपनी मातृ भूमि तथा मातृ भाषा को कभी नही भूलना चाहिए। उन्होंने लोगों से सद्भाव से तथा प्रकृति के साथ रहने का आग्रह किया।
इस अवसर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत प्राचीन समय से ज्ञान की भूमि रही है तथा वैदिक विश्वमण्डल में एक मात्र ऐसा था जिसकी समय सीमा आधुनिक वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड विज्ञान के साथ मेल खाती है। उन्होंने कहा कि भारतीय पारम्परिक ज्ञान को कायम रखते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना समय की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि मानवतावादी विचारों तथा मानवीय स्पर्श के बगैर वैज्ञनिक दृष्टिकोण अप्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग चिंता का विषय है। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिये वैज्ञानिकों को आगे आने का आग्रह किया। उनहोंने कहा कि आज की सभी बीमारियां हमारी बुरी जीवनशैली के कारण हैं। उन्होंने कहा कि खेती में रासायनिक उर्वरकों तथा कीटनशाकों का अत्यधिक प्रयोग न केवल हमारी भूमि को बंजर बना रहा है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि इस सबका समाधान है और वैज्ञानिकों से इसके प्रोत्साहन का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बढ़ेगी, बल्कि हमारे स्वास्थ्य संस्थानों की भीड़ को भी कम करने में मद्द मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने युवा कांग्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन हमारे अस्तित्व के लिए गम्भीर चुनौती है और वैज्ञानिकों को इस समस्या के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को ‘देव भूमि’ के नाम से जाना जाता है और केरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों ने राज्य को देश का ‘शिक्षा हब’ बनाने में मद्द की है। उन्होंने कहा कि आज के इस वैज्ञानिक युग में भारत को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक नवोन्मेष के इस दौर में हमें अपने प्राचीन ज्ञान की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और न इसका त्याग करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के लोगों को नए भारत के निर्माण के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री ने नवोन्मेष, स्टार्टअप तथा युवाओं के कौशल विकास को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया है।
श्री जय राम ठाकुर ने युवाओं में रचनात्मकता पर बल देते हुए कहा कि युवाओं को राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार युवाओं को न केवल नौकरी प्राप्त करने वाले, बल्कि नौकरी प्रदाता बनाने के उद्देश्य से उनके कौशल उन्ययन पर विशेष बल दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्टार्टअप तथा नवीन परियोजनाओं पर बल दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को आशावादी होना चाहिए और निराशा से दूर रहना चाहिए। उन्हें सच्चाई तथा ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिए, क्योंकि एक सच्चे वैज्ञानिक के लिए यह अनिवार्य है। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा कांग्रेस, देश में विज्ञानिक सोच उत्पन्न करने तथा विज्ञान एवं तकनीकी को बढ़ावा देने में मद्दगार सिद्ध होगी।
अपने सम्बोधन में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि देश की उन्नति तथा मानवीय विकास के लिए वैज्ञानिकों को प्रभावी एवं सत्त समाधान विकसित करने के लिए शोध में परम्पराओं तथा स्थानीय ज्ञान, पद्वति एवं तकनीक को शामिल करने में मद्द करनी चाहिए। उन्होंने, विशेषकर युवा पीढ़ी में खून की कमी के बढ़ते मामलों पर चिन्ता जाहिर की। उन्होंने युवा वैज्ञानिकों से इस क्षेत्र में शोध कर शीघ्र समस्या के समाधान के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है और राष्ट्र के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों को चरणबद्ध ढंग से वैलनेस केन्द्रों में परिवर्तित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 तक देश में 1.50 लाख स्वास्थ्य वैलनेस केन्द्रों की स्थापना की जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हमारे देश की 60 प्रतिशत से अधिक की आवादी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग की है और यह उम्र खोज करने तथा सपनों की है। उन्होंने कहा कि युवाओं की गुणात्मकता राष्ट्र के भविष्य को निर्धारित करती है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं भारत में हरित क्रान्ति के जनक पदम विभूषण प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने सम्बोधन में कहा कि युवा वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल प्रदेश के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने खाद्य सुरक्षा से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के शासन में सुधारों के लिए ‘सामूहिक प्रयासों’ की आवश्यकता पर बल दिया।
केरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. पी.एल. गौतम ने कहा कि पहली युवा कांग्रेस का आयोजन वर्ष 2009 में किया गया था। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारतीय युवा कांग्रेस का थीम ‘नए भारत के विकास में युवा वैज्ञानिकों की भूमिका’ है।
इस अवसर पर भारतीय युवा कांग्रेस की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री विपिन सिंह परमार, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री वीरेन्द्र कंवर, उद्योग मंत्री श्री बिक्रम सिंह, सांसद श्री अनुराग ठाकुर, विधायक श्री नरेन्द्र ठाकुर, एम.एस.एस.आर. एफ के कार्यकारी निदेशक डॉ. वी.सैल्बम, एस.आर.एम विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. सत्यानारायणन  भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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