Home हिमाचल प्रदेश केसीसी बैंक निदेशक मंडल भंग करने पर सरकार से जवाब…

केसीसी बैंक निदेशक मंडल भंग करने पर सरकार से जवाब…

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कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक के निदेशक मंडल (बीओडी) को भंग करने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। बैंक के पूर्व अध्यक्ष जगदीश चंद सिपहिया ने कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की गुहार लगाई है। हाईकोर्ट ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए सिपहिया के निलंबन आदेश और पद से हटाने बाबत कारण बताओ नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार और अन्यों को नोटिस जारी कर दिया।

सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। मामले पर सुनवाई 10 मई को होगी। रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसायटी आरएन बत्ता और प्रबंध निदेशक कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक पीसी अकेला को इस मामले में निजी तौर पर प्रतिवादी बनाया गया है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सिपहिया की ओर से दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ये आदेश पारित किए।

याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार केसीसी बैंक में अनियमितताएं बरतने के आरोप को लेकर 6 अप्रैल को रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव सोसाइटी ने प्रार्थी को निदेशक मंडल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, बोर्ड के 13 निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उन्हें उनके पदों से हटाते हुए निदेशक मंडल को भंग किया जाए।

नोटिस का जवाब 30 दिनों में देने को कहा है। तब तक जिलाधीश कांगड़ा को बैंक के कार्य देखने के लिए बतौर प्रशासक नियुक्त किया। तब तक प्रार्थी व सभी निदेशकों को निलंबित कर दिया गया है। 6 अप्रैल को जारी आदेशों के तहत प्रार्थी जगदीश सिपहिया, कुलदीप सिंह पठानिया, अजीत पाल महाजन, प्रेमलता ठाकुर, करनैल सिंह राणा, केशव कोरला, आत्म प्रकाश ठाकुर, छेरिंग टशी, मनोहर लाल,

राजीव गौतम, लेखराज कंवर, सुनील दत्त, संजीव राणा, हितेश्वर सिंह, प्रकाश चंद को उनके पदों से निलंबित कर दिया गया है। प्रार्थी ने आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ  जारी कारण बताओ नोटिस कानून के नजरिए से गलत है। प्रार्थी के अनुसार प्रार्थी व बोर्ड के अन्य सदस्यों ने कार्यकाल पूरा नहीं किया है। इस कारण उन्हें समय से पहले बर्खास्त किया जाना कानूनन गलत है।

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