: कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू को महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपा. सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और मुस्लिम लीग समर्थन कर रही है. प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किये हैं. इनमें से 7 रिटायर हो चुके हैं. महाभियोग प्रस्ताव के लिए न्यूनतम सदस्यों की संख्या 50 होनी चाहिए.
राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमने कदाचार के पांच आधार पर महाभियोग प्रस्ताव रखा है. उन्होंने कहा, ”आज हम 12 बजे राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति से मिले और उनको इम्पीचमेंट मोशन (महाभियोग प्रस्ताव) दिया.” कांग्रेस नेता ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है. न्यायपालिका के लिए सीजेआई को हटाना होगा. महाभियोग के अलावा हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने पद की मर्यादा का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा, ”देश की सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है, न्यायपालिका की स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ हो रहा है.” सिब्बल ने कहा कि ये चिंता की बात है, हमने संविधान की शपथ ली है और हमें इसकी रक्षा करनी है.
कपिल सिब्बल ने कहा, ”चीफ जस्टिस जिस तरह से कुछ मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं और अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं , उसपर सवाल उठाये जा रहे हैं.” उन्होंने कहा कि जब चीफ जस्टिस अधिवक्ता थे तब एक जमीन के सम्बंध में उन्होंने झूठा हलफनामा दिया था.
इस बीच चीफ जस्टिस पर महाभियोग को लेकर मीडिया में चल रही चर्चाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली बेंच (पीठ) ने न्यायपालिका को लेकर चल रही खबरों पर कहा, “हम इन्हें लेकर परेशान हैं.” दरअसल महाभियोग से संबंधित खबरों पर रोक लगाने के लिए एक याचिका दाखिल की गई है.
याचिका में कहा गया है कि महाभियोग प्रस्ताव आने से पहले संसद में भी इस पर बहस नहीं होती, लेकिन मीडिया लगातार न्यायपालिका ओर अविश्वास जताने वाली खबरें छाप रहा है. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील एटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी है। अब इस मामले पर 7 मई को सुनवाई होगी.
न्यायपालिका पर लगातार हो रहे हमलों पर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की आज फुल कोर्ट मीटिंग हो सकती है. हालांकि इसकी संभावना कम दिख रही है. जस्टिस गोगोई समेत चार से पांच जस्टिस सुप्रीम कोर्ट से जा चुके हैं। दो अदालतों में अब भी काम चल रहा है। फुल कोर्ट मीटिंग नहीं होने पर कुछ जजों को अनौपचारिक बैठकें हो सकती है.
आपको बता दें कि कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जस्टिस जस्टिस जे चेलमेशवर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने मीडिया के सामने आकर सीजेआई दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. इसके बाद कांग्रेस, वामदलों ने महाभियोग की तैयारी शुरू की थी. हालांकि समर्थन नहीं मिलने की वजह से पैर पीछे खींच लिये थे. अब एक बार फिर जज बी एच लोया मामले में कांग्रेस और वामदल बैकफुट पर है ऐसे में विपक्षी पार्टियां महाभियोग पर विचार कर रही है.