सुप्रीम कोर्ट के द्वारा SC/ST कानून में बदलाव के बाद दलित संगठनों में काफी गुस्सा देखने को मिला था. इसके बाद ही केंद्र ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट में कहा कि कोर्ट के इस फैसले से SC/ST लोगों के मनोबल और आत्मविश्वास को कम हुआ है. अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि 20 मार्च को शीर्ष कोर्ट ने जो फैसला दिया उससे काफी नुकसान हुआ. इसके विरोध में जो प्रदर्शन हुआ उसमें 8 लोगों की जान चली गई थी. हालांकि, कोर्ट अपने फैसले पर पीछे नहीं हट रहा है.
कोर्ट ने साफ कहा है कि हमारे फैसले से कोई हिंसा नहीं हुई है, लेकिन लोगों ने फैसले को सही तरीके से समझा ही नहीं था. जस्टिस गोयल ने कहा कि SC/ST समुदाय के लोगों को कोर्ट भी पूर्ण सुरक्षा देता है. सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले को बड़ी बेंच को सौंपा जाना चाहिए.बता दें कि कोर्ट ने कहा कि SC/ST एक्ट में FIR से पहले अफसर संतुष्ट हों कि किसी को झूठा तो नहीं फंसाया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर ही गिरफ्तारी की जाए. इस पर केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि ये कोर्ट का अधिकार क्षेत्र नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि हमारे फैसले में ऐसा नहीं है कि अगर कोई गलत काम होता है तो उसपर एक्शन ना लिया जाए. बल्कि आदेश कहता है कि कानून का कोई गलत इस्तेमाल ना कर पाए. इस मामले में अब अगली सुनवाई 16 मई को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने केवल एक फिल्टर लगाया है, ताकि गिरफ्तारी करने से पहले ये देखा जाए कि वो गिरफ्तार करने योग्य है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ये कह रही है कि 15 फीसदी ही मामले इस एक्ट के तहत झूठे दर्ज किए गए हैं. इसका मतलब ये नहीं की बाकी 85 फीसदी सही हों