ऊना: क्या नेताओं व पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में कोई टोह लेने वाला कोई नहीं? पार्टी में अपना समझाने व समझने के लिए नेताओं की कमी है। ऐसा प्रश्न इसलिए उठ रहा है, क्योंकि हिमाचल भाजपा के वरिष्ठ नेता 10 वर्ष तक पार्टी के संगठन मंत्री, तीन बार सांसद, हिमाचल भाजपा के अध्यक्ष के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने वाले नेता सुरेश चंदेल सोशल मीडिया पर अपने तल्ख तेवर दिखा रहे हैं और यह तेवर कई कहानियां बयां कर रहे हैं।
सुरेश चंदेल भारतीय जनता पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता हैं, इसीलिए शायद अनेक उतार-चढ़ाव को देखते हुए भी पार्टी के साथ चलते आ रहे हैं। पार्टी ने कैश के बदले प्रश्न के मसले पर चाहे उस समय चंदेल से हाथ छिटका हो, लेकिन चंदेल ने लगातार बिलासपुर हलके में मेहनत की और 2012 के चुनाव में विधानसभा का टिकट लेने में सफल रहे, लेकिन परिणाम उनके अनुरूप नहीं रहा। विरोधी तेवरों के बीच चंदेल ने पार्टी लाइन पर ही काम करने को तवज्जो दी और बागी नहीं हुए। पार्टी ने जो निर्देश दिया उस अनुसार काम किया, लेकिन टिकट कटने का गम उनके चेहरे पर साफ दिख रहा है।
सुरेश चंदेल की उड़ती पतंग की तरह ऊंचाई ले रही राजनीति में पैसे के बदले प्रश्न का कांड एक ग्रहण सा रहा है, जिसने पतंग काटने का काम किया। अब सुरेश चंदेल राजनीति की ऐसी दहलीज पर खड़े हैं, जहां उन्हें भविष्य की ओर अधिक स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा और वह इसके लिए अब तल्ख तेवरों से अपना मत व्यक्त कर रहे हैं, जो राजनीति में चिंता का विषय भी नेताओं के लिए है। भाजपा की नई सरकार गठित हुई है और प्रदेश में एक नया वातावरण बनता दिख रहा है। ऐसे में सुरेश चंदेल की सुनाई सरकार व संगठन में न होने का मलाल ही शायद उन्हें तेवरों को तल्ख करने की ऊर्जा दे रहा है।
सुरेश चंदेल के तल्ख तेवर राजनीति की रसोई में कौन सी खिचड़ी बना रहे हैं, यह तो फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन सुरेश चंदेल पार्टी में कहीं न कहीं अनदेखी से आहत हैं। इसको लेकर अपनी आवाज बड़े नेताओं तक पहुंचाने की कसरत में जुटे है।सूत्रों की माने तो सुरेश चंदेल ने प्रधानमंत्री के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के समक्ष भी अपने दर्द को बोला है और वर्तमान में भी वे अनेक स्थानों पर प्रदेश स्तर पर अपनी बात रख चुके हैं और उनकी मुलाकात का दौर कई नेताओं से हुआ है, जिनमें प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल व शांता कुमार भी शामिल हैं।
माना जा रहा है कि सुरेश चंदेल अब पार्टी में अपनी अनदेखी को ज्यादा देर सहन करने के मूड में नहीं है, इसलिए पार्टी को भी सतर्क करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि पार्टी भाजपा में उनकी भूमिका संगठन व या सरकार में तय करें। ऐसे में अब देखना है कि सुरेश चंदेल अपनी बात को कहां तक पहुंचाकर मनवाने में सक्षम होते हैं। सुरेश चंदेल के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का 36 का आंकड़ा माना जाता है और राजनीति में कौन किसको कब काट दे कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में सुरेश चंदेल का भविष्य क्या होगा इस पर आने वाले समय में परते खुल सकती हैं।
सुरेश चंदेल ने 2 दिन में लगातार सोशल मीडिया पर दो पोस्ट डाले हैं। एक में उन्होंने लिखा कि मैं बूढ़ा नहीं हुआ हूं, मुझमें अभी भी ताकत है और मैं फिर से लोगों की सेवा करना चाहता हूं। वहीं दूसरी पोस्ट में उन्होंने तेवरों की तल्खी दिखाते हुए लिखा कि अब चुप बैठने व इंतजार करने का समय निकल गया कि कोई आपको जबरन राजनीति से रिटायर कर दें।