साल 2013 में भारतीय सिनेमा के 100 वर्षों के सेलिब्रेशन के लिए फिल्म ‘बॉम्बे टॉकीज’ बनायी गयी थी. जिसमें 4 अलग-अलग कहानियों को मशहूर डायरेक्टर्स अनुराग कश्यप, जोया अख्तर, दिबाकर बनर्जी, करण जौहर ने डायरेक्ट किया था. अब एक बार फिर से इन्हीं 4 डायरेक्टर्स ने मिलकर 4 अलग-अलग कहानियों को नेटफ्लिक्स की सीरीज के लिए डायरेक्ट किया है. जिसे लस्ट स्टोरीज नाम दिया गया है. कैसी है यह सीरीज, आइए समीक्षा करते हैं..
कहानी और परफॉर्मेंस
सीरीज की पहली कहानी टीचर कालिंदी (राधिका आप्टे) और स्टूडेंट (आकाश थोसार) की है. जिनके बीच प्रेम संबंध तो है लेकिन कई सारे उतार चढ़ाव भी आते हैं. कहानी को अनुराग कश्यप ने डायरेक्ट किया है. ये कहानी बहुत रियल फ्रेम में शूट की गयी है, जो कि अनुराग का स्टाइल भी है. डायरेक्शन बढ़िया है, कहानी और बेहतर हो सकती थी. साथ ही एडिटिंग भी बेहतर की जा सकती थी. इस कहानी में आकाश थोसार काफी नर्वस दिखाई देते हैं और मिसफिट नजर आते हैं. कहानी में गोल्डन एरा के ‘दम भर जो उधर मुंह फेरे ‘ गाने का बखूबी प्रयोग किया गया है. संवाद बढ़िया हैं और ये कहानी आपको हंसाती भी है. राधिका आप्टे ने फिर से अच्छा अभिनय किया है.
सीरीज की दूसरी कहानी को जोया अख्तर ने डायरेक्ट किया है. जो मुंबई के एक मीडियम क्लास वर्किंग बैचलर अजित (नील भूपलम) और उसके यहां काम करने वाली नौकरानी सुधा (भूमि पेडनेकर) की है. दोनों के बीच अलग तरह का समीकरण है और कहानी में मोड़ तब आता है जब अजित के माता पिता मेरठ से मुंबई आते हैं और उसका रिश्ता फिक्स करते हैं. कहानी अच्छी है. भूमि पेडनेकर ने उम्दा अभिनय किया है और नील भूपलम का अभिनय भी सहज है. हालांकि क्लाइमेक्स थोड़ा बेहतर किया जा सकता था. डायरेक्शन, कैमरा वर्क और कहानी सुनाने का ढंग अच्छा है.
तीसरी कहानी में पति पत्नी और वो का एंगल देखने को मिलता है. जहां पति हैं सलमान (संजय कपूर), पत्नी के रूप में रीना (मनीषा कोइराला) और वो के रूप में सुधीर (जयदीप अहलावत) हैं. सलमान और सुधीर का क्या रिश्ता है और लव-लस्ट का क्या हिसाब किताब है, उसका पता सीरीज देखकर ही चल पायेगा. डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी ज्यादातर डार्क फिल्म्स के लिए जाने जाते हैं. लेकिन इस बार रिश्तों का ताना बाना दर्शाते हुए नजर आये हैं. बैकग्राउंड स्कोर और डायरेक्शन लाजवाब है. जयदीप अहलावत नेचुरल एक्टिंग करते हुए दिखाई देते हैं. वहीँ मनीषा कोइराला और संजय कपूर का काम भी अच्छा है .
चौथी कहानी के निर्देशक हैं करण जौहर. जिनकी मौजूदगी से इस कहानी में लव, लस्ट के साथ ड्रामा, इमोशन, हंसी मजाक और एंटरटेनमेंट आता है. कह सकते हैं सबसे बढ़िया कहानी उन्होंने सुनाई है. स्कूल की लाइब्रेरी संभालने वाली रेखा (नेहा धूपिया) अक्सर अपनी साथ की टीचर मेघा वर्मा (कियारा आडवाणी) को बोल्ड होने के लेक्चर दिया करती है. इसी बीच शादी के लिए जब मेघा लड़का देखने जाती है तो उसकी मुलाक़ात पारस (विक्की कौशल) से होती है. इस बीच कहानी में बहुत सारे ट्विस्ट टर्न्स आते हैं. कियारा और विक्की कौशल ने बेहतरीन अभिनय किया है. कहानी को न्यायसंगत बनाया है. डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी और गानों के साथ साथ बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है, करण जौहर की फिल्म ‘कभी ख़ुशी कभी ग़म’ की झलक भी आपको मिलती है. एक तरह से सभी कहानियों में यह कहानी बेहतर है.