योग की बहुत सारी परिभाषाएं दी गयी हैं परन्तु इसमें महर्षि पतंजलि की परिभाषा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. महर्षि पातंजलि ने चित्त वृतियों के नियंत्रण को योग कहा है. उन्होंने योग के आठ अंग बताये हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि. इन आठों अंगों को सम्पूर्ण रूप से योग कहा जाता है. आसन या योगासन मात्र योग का एक अंश है. आसन, सम्पूर्ण योग नहीं है.
क्या हैं योगासन?
– ईश्वर की उपलब्धि के लिए योग की प्रक्रिया में जाना अनिवार्य है
– योग का एक अंग आसन भी है
– आसन से ग्लैंड्स ठीक होते हैं, साथ ही शरीर स्वस्थ होता है
– स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है
– और स्वस्थ मन से ही ईश्वर की उपलब्धि की जा सकती है
– इसलिए योगासन करना शरीर, मन और आत्मा, तीनों के लिए आवश्यक है
– बहुत सारे तरह के योगासनों की चर्चा की गयी है
– जो अलग अलग आवश्यकता के अनुसार किये जाते हैं
राशियों की जरूरत के अनुसार भी योगासनों का चुनाव किया जा सकता है. किस राशि के लिए कौन सा योगासन लाभदायक होगा?
मेष राशि – इनके लिए सूर्य नमस्कार विशेष लाभकारी होता है
मिथुन राशि – इन्हे सर्वांगासन और मत्स्यमुद्रा से लाभ हो सकता है
कर्क राशि – धनुरासन और पश्चिमोत्तानासन से इन्हे लाभ होगा
सिंह राशि – इनके लिए प्रणायाम उत्तम रहेगा
कन्या राशि – सूर्य नमस्कार से इन्हे लाभ होगा
तुला राशि – प्रातः और सायं सिद्धासन का अभ्यास करना चाहिए
वृश्चिक राशि – इनके लिए ताड़ासन और भुजंगासन उत्तम होगा
धनु राशि – इनको धनुरासन और पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करना चाहिए
मकर राशि – इनको नियमित प्राणायाम और टहलने की आदत डालनी चाहिए
कुंभ राशि – इनको नियमित रूप से प्राणायाम और ध्यान करना चाहिए
मीन राशि – इनको नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करना चाहिए