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मोहनपुरा सिंचाई परियोजना बदलेगी राजगढ़ क्षेत्र की तस्वीर और तकदीर…

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मध्यप्रदेश के राजस्थान से लगे, हरियाली को तरसते राजगढ़ जिले में सिंचाई परियोजना के लोकार्पण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का मोहनपुरा आना कोई साधारण बात नहीं है। प्रधानमंत्री श्री मोदी मोहनपुरा वृहद सिंचाई परियोजना का लोकार्पण करने आ रहे हैं जिसमें 440 करोड़ की लागत से बांध निर्मित किया गया है। इसकी लागत 3866.34 करोड़ है। मोहनपुरा परियोजना का कार्य दिसम्बर 2014 में प्रारंभ कर फरवरी 2018 में पूर्ण किया गया। बांध की कुल सकल भराव क्षमता 616.27 मिलियन घनमीटर है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि मोहनपुरा  परियोजना से संपूर्ण जिले को सिंचाई और पेयजल की सुविधाएं मिलेंगी। सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से पश्चिम मध्यप्रदेश के लिए मोहनपुरा योजना का विशेष महत्व है। ये क्षेत्र का कायापलट करने वाली योजना है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के स्वागत के लिए राजगढ़ जिले में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हित के लिए सिंचाई क्षेत्र को समृद्ध बनाने पर लगातार ध्यान दिया है। मध्यप्रदेश को निरंतर कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त होने की एक प्रमुख वजह राज्य में अच्छी सिंचाई सुविधाओं का उपलब्ध होना है। जल संसाधन विभाग दिन-प्रति-दिन सिंचाई क्षमता में वृद्धि के लिए कार्य कर रहा है।

मोहनपुरा सिंचाई परियोजना के शुभारंभ अवसर पर राजगढ़ जिले में आम जनता में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। अनेक ग्रामों से राजगढ़ जिले के लोग पारम्परिक परिधान और नई रंगीन पगड़ी में बड़ी संख्या में स्थानीय जन मोहनपुरा पहुँचेंगे। क्षेत्र में पिछले कई दिन से प्रधानमंत्री के आगमन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। उत्साह का प्रमाण यह है कि गांव-गांव में दीवार लेखन, डीजे बैण्ड और पोस्टर, बैनर से प्रधानमंत्री के स्वागत की अपील की जा रही है। अनेक ग्रामों कार्यकर्ता पीले चावल देकर ग्रामवासियों को प्रधानमंत्री श्री मोदी के कार्यक्रम में उपस्थित होने का निमन्त्रण दे रहे हैं।

मोहनपुरा परियोजना बनेगी वरदान

राजगढ़ जिले में मोहनपुरा सिंचाई परियोजना की विशेषता यह है कि यहाँ दाबयुक्त पाईप सिंचाई पद्धति का प्रयोग किया जा रहा है। कृषकों के खेतों तक समुचित जल पहुँचाने के लिए दाबयुक्त सिंचाई प्रणाली का निर्माण किया गया है। इससे उपलब्ध जल से अधिक क्षेत्र में सिंचाई संभव होती है। जलाशय से जल उदवहन कर जमीन के अंदर पाईप लाइन बिछाकर किसानों के खेत (एक हेक्टेयर चक) तक उच्च दाब पर जल प्रदाय करने का कार्य, सूक्ष्म सिंचाई के लक्ष्य को पूरा करेगा। निर्मित जलाशय की कुल लम्बाई 2700 मीटर और अधिकतम ऊंचाई 48 मीटर है। जलाशय से जल निकासी के नियमन के लिए 17 गेट लगाए गए हैं। बांयी तट से 92 हजार 500 हेक्टेयर के राईजिंग मेन और पम्प हाउस का कार्य पूर्ण किया गया। बांयी तट के पचौर क्षेत्र में 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के लिए भी कार्य किया गया। दांयी तट के 25 हजार 800 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का कार्य किया जाएगा। संपूर्ण नहर प्रणाली से 727 ग्राम लाभान्वित होंगे। बांध से 8 मिलियन घनमीटर पानी राजगढ़ जिले के निवासियों को प्राप्त होगा। इसी तरह उद्योग क्षेत्र को भी 5 मिलियन घनमीटर पानी प्रदाय करने की व्यवस्था की गई है।

प्रदेश के जल संसाधन और जनसम्पर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र का मानना है कि यह परियोजना राजगढ़ को रेगिस्तान बनने से रोकेगी। परियोजना के क्रियान्वयन से संपूर्ण क्षेत्र की वास्तव में कायापलट हो जाएगी। एक बड़े सकारात्मक परिवर्तन के साक्षी वे सभी लोग होंगे, जिन्होंने वर्षों से इस इलाके में सिंचाई और पीने के पानी की किल्लत देखी है। डॉ. नरोत्तम मिश्र ने गत दो वर्ष से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस परियोजना की अनेक बार समीक्षा की। अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री आर.एस.जुलानिया ने बताया कि मोहनपुरा परियोजना बहुउपयोगी सिद्ध होगी। इससे प्रदेश के सूखे भाग में शामिल राजगढ़ जिले के एक लाख 34 हजार 300 हेक्टेयर क्षेत्र में जल की अधिकतम क्षमता का प्रयोग किया गया है। आने वाले वर्षा काल में पूरी क्षमता से बांध जलाशय में भराव किया जाएगा। रबी सत्र 2018-19 में सिंचाई शुरू करने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। संपूर्ण नहर प्रणाली से सवा सौ ग्राम लाभान्वित होंगे। बांध से आठ मिलियन घनमीटर पानी राजगढ़ जिले वासियों के पेयजल के लिए सुनिश्चित किया गया है तथा उद्योगों के लिए भी पांच मिलियन घनमीटर पानी आरक्षित है।

किसी भी परियोजना से क्रियान्वयन से कुछ लोगों को विस्थापित होना पड़ता है, लेकिन उनकी समुचित पुनर्वास व्यवस्था से विस्थापितों की तकलीफ कम हो जाती है। मोहनपुरा सिंचाई परियोजना श्रेष्ठ पुनर्वास का एक उदाहरण है। बांध की पूर्ण भराव क्षमता पर डूब क्षेत्र 7056.718 हेक्टेयर है एवं इससे 55 ग्राम प्रभावित हुए। डूब क्षेत्र में 22 ग्राम की आबादी पूर्णत: एवं 5 ग्राम आं‍शिक रूप से प्रभावित हैं, जिनके विस्थापन एवं पुनर्वास का कार्य पूर्ण हो गया है। नए स्थान पर विस्थापित ग्रामवासी रहने लगे हैं और पूर्व की तुलना में बेहतर परिवेश एवं सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने योजनाओं से विस्थापित लोगों को आवश्यकतानुसार जरूरी सुविधाएं देकर भली-भांति नई जगह पर बसने में पूरी मदद की है। सिंचाई परियोजना से अनेक कस्बों और ग्रामों में आगे चलकर घर-घर नल की टोंटी से पानी पहुँचाने की तैयारी भी की जा रही है। लगभग 1666 ग्रामों के लोग पर्याप्त पेयजल पाने के आकांक्षी हैं। यह परियोजना उनके लिए भी प्रसन्नता का कारण है।

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