ग्रहों की तमाम तरह की स्थितियां होती हैं. इसमें भी ग्रहों की गति के आधार पर मुख्यतः तीन तरह की स्थितियां पायी जाती हैं. ग्रह जब सामान्य गति से भ्रमण करता है तो तो उसको मार्गी कहते हैं, जब तीव्र गति से चलता है तो उसको अतिचारी कहते हैं. जब इसी तीव्रता में वह पीछे की ओर चलने लगता है तो उसको वक्री कहते हैं. वास्तव में ग्रह कभी पीछे या उलटे नहीं चलते , बल्कि उनके उलटे चलने का आभास होता है. वक्री अवस्था में ग्रह अत्यधिक शक्तिशाली हो जाते हैं.
मंगल का वक्री होना क्यों महत्वपूर्ण है?
– मंगल अत्यंत शक्तिशाली ग्रह है
– इसकी ताकत और साहस के कारण इसको ग्रहों का सेनापति भी कहते हैं
– मंगल अभी तक केतु के साथ था
– अब वक्री होकर मंगल के अन्य भी विशेष प्रभाव होंगे
– इस प्रकार यह शनि और सूर्य को भी प्रभावित करेगा
मंगल के वक्री होने का सामान्य प्रभाव क्या होगा?
– सोने के दाम में तेजी आएगी
– शेयर मार्किट में उतार चढ़ाव हो सकता है
– वायुयान दुर्घटना और अग्नि से समस्याएं बढ़ सकती हैं
– जिन लोगों की कुंडली में मंगल ख़राब है उन्हें दुर्घटना से बचना चाहिए
– जिनका मंगल अच्छा है उन्हें उच्च पद की प्राप्ति हो सकती है
किन राशियों पर वक्री मंगल का प्रभाव अच्छा होगा और किनके लिए बुरा?
– मेष – पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति
– वृष – स्वास्थ्य और चोट चपेट का ध्यान रखें
– मिथुन – वैवाहिक जीवन का ध्यान दें
– कर्क – करियर में परिवर्तन और लाभ
– सिंह – रोजगार की स्थितियों में सुधार
– कन्या – चोट चपेट और दुर्घटनाओं से बचें
– तुला – यात्रा के दौरान सावधानी रक्खें
– वृश्चिक – वाहन दुर्घटना से सतर्क रहें
– धनु – पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति
– मकर – चोट चपेट से बचाव करें
– कुम्भ – धन लाभ परन्तु काम का दबाव
– मीन – जिम्मेदारियां बढ़ेंगी, संपत्ति का लाभ
जिनके लिए वक्री मंगल के परिणाम उत्तम नहीं हैं, उन्हें क्या उपाय करने चाहिए?
– वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक और मकर राशि वालों को इस वक्री मंगल के लिए उपाय करने चाहिए
– नित्य प्रातः हनुमान जी को लाल फूल अर्पित करें
– नित्य प्रातः हनुमान जी के समक्ष बजरंग बाण का पाठ करें
– हर मंगलवार को गाय को गुड और रोटी खिलाएँ
– लाल रंग के वस्त्रों का कम से कम प्रयोग करें