इस बार राजकुमार हिरानी ने अपने राइटर दोस्त अभिजात जोशी के साथ मिलकर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता संजय दत्त के जीवन पर आधारित फिल्म संजू लिखी और उसे डायरेक्ट किया. फिल्म बनाने के प्रोसेस में राजकुमार हिरानी काफी वक्त लेते हैं लेकिन उनका आखिरी प्रोडक्ट काफी कमाल का होता है. रणबीर कपूर को संजय दत्त के रूप में लेने से लेकर फिल्म की रिलीज डेट तक बहुत सारे उतार-चढ़ाव और बातें कही गई हैं. क्या यह फिल्म उन मानकों पर खरी उतरती है और एक अच्छा मनोरंजन दे पाने में सफल है? आखिर कैसी बनी है संजू? इस फिल्म कि आइए समीक्षा करते हैं…
कहानी
फिल्म की कहानी उस खबर के साथ शुरू होती है जब संजय दत्त को 5 साल की जेल की सजा सुनाई जाती है. अपनी जिंदगी के ऊपर किताब लिखने के लिए वे मशहूर राइटर विनी (अनुष्का शर्मा) से मिलता है और अपनी कहानी बताना शुरू करता है.
कहानी सुनील दत्त (परेश रावल) और नरगिस दत्त (मनीषा कोइराला) के घर में 21 साल के संजू (रणबीर कपूर) से शुरू होती है जो रॅाकी की शूटिंग कर रहा होता है. बचपन में बोर्डिंग स्कूल भेजा जाना, दोस्तों के साथ ड्रग्स की लत लगना, माता-पिता से कई बातें छुपाना, नरगिस की तबीयत खराब हो जाना, दोस्त कमलेश (विक्की कौशल) के साथ मुलाकात होना, पहली फिल्म रॉकी के साथ डेब्यू करना और उसके बाद कई फिल्मों तक काम ना मिलना, रिहैब सेंटर में जाना, मुंबई बम धमाकों के साथ नाम जोड़ा जाना, कई बार जेल जाना और अंततः एक स्वतंत्र नागरिक के रूप में जेल से बाहर आना. यह सारी बातें आपको इस फिल्म में नजर आएंगी. लेकिन इनके अलावा संजू के जीवन में क्या-क्या घटनाएं घटी, किस तरह से उसका दोस्त कमलेश (विक्की कौशल), पत्नी मान्यता (दिया मिर्जा) संजू के साथ अलग-अलग समय पर खड़े रहे, ऐसी क्या परिस्थितियां थी कि संजय को ड्रग्स और बहुत सारी महिलाओं का सहारा लेना पड़ा, इन सभी घटनाओं को भी सिलसिलेवार तरीके से फिल्म में दिखाया गया है. संजय के जीवन के बारे में जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
आखिर क्यों देखें?
वैसे तो अक्सर कहा जाता है कि संजय दत्त की जिंदगी एक खुली किताब है लेकिन राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी ने जिस तरह से फिल्म की पटकथा लिखी है वह तारीफ के काबिल है. सिलसिलेवार घटनाओं को बड़े ही अच्छे अंदाज में दर्शाने की भरपूर कोशिश की गई है. फिल्म का डायरेक्शन अद्भुत है जिसके लिए राजकुमार हिरानी जाने जाते हैं. कई बार ऐसे इमोशनल पल पर आते हैं जिस समय थिएटर के भीतर बहुत से लोगों की आंखें नम भी पाई जाती हैं. खासतौर से इंटरवल के ठीक पहले का समय. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर, VFX, कास्टिंग कमाल की है.
दीया मिर्जा, मनीषा कोइराला, बोमन ईरानी ने बढ़िया काम किया है. अनुष्का शर्मा का किरदार फिल्म में काफी दिलचस्प है. परेश रावल ने सुनील दत्त का किरदार बखूबी निभाया है. विक्की कौशल ने बहुत ही उम्दा अभिनय किया है. रणबीर कपूर जिन्हें पहले फ्रेम से लेकर के आखिरी फ्रेम तक अगर आप देखें तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि वह रॉकस्टार वाले रणबीर कपूर हैं. रणबीर ने पूरी तरह से संजय दत्त के किरदार में खुद को शत-प्रतिशत डाला है. रणबीर आप को हंसाने के साथ-साथ रुलाते भी हैं. जिम सरभ का किरदार काफी अनोखा है जिनसे शायद आप ज्यादा से ज्यादा घृणा करें. सिनेमेटोग्राफी, लोकेशन और फिल्म का संगीत, स्क्रीनप्ले के साथ साथ ही जाता है. फिल्म की रिलीज के बाद यह संगीत और ज्यादा फेमस होगा.
कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसकी लेंथ कही जा सकती है. जिसे और दुरुस्त किया जा सकता था. बाकी छुटपुट बातों को छोड़ दें तो फिल्म में ऐसी कोई कमी नहीं है. फिल्म का पहला हाफ थोड़ा लंबा है जिसे छोटा किया जा सकता था.
बॉक्स ऑफिस
फिल्म का बजट लगभग 80 करोड़ रुपए बताया जा रहा है. खबरों के मुताबिक फिल्म को भारत में लगभग 4000 स्क्रीन्स में रिलीज किया जा रहा है. वहीं विदेशों में लगभग 65 देशों में 1300 से ज्यादा स्क्रीन्स में रिलीज किया जाएगा. एक तरह से यह रणबीर कपूर और राजकुमार हिरानी की सबसे ज्यादा स्क्रीन यानि 5300 से ज्यादा स्क्रींस में रिलीज होने वाली फिल्म है. एडवांस बुकिंग और वर्ड ऑफ माउथ के साथ यह फिल्म एक बड़े वीकेंड की तरफ बढ़ रही है. देखना बेहद खास होगा कि क्या यह फिल्म राजकुमार हिरानी और रणबीर कपूर के पिछले बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड को तोड़ पाएगी या नहीं.