जीवन की उन्नति में तमाम चीजें बाधा उत्पन्न करती हैं. कुछ दोष जाने पहचाने होते हैं, और कुछ अज्ञात. इन्हीं अज्ञात दोषों में से एक दोष है – पितृ दोष. आम तौर पर इस योग के पीछे राहु ही होता है. राहु की अलग अलग स्थितियों को हम पूर्वजन्म और पितरों से जोड़ देते हैं.
कुंडली में क्यों होता है पितृदोष?
– पूर्व जन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई हो , या
– अपने दायित्वों का ठीक तरीके से पालन न किया गया हो , या
– अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो.
– तो इसका असर जीवन पर दिखने लगता है.
– व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर असफलता मिलती है
कुंडली में किन योगों के होने पर पितृ-दोष होता है?
– कुंडली में राहु का प्रभाव ज्यादा हो तो इस तरह की समस्या हो जाती है
– राहु अगर कुंडली के केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो
– अगर राहु का सम्बन्ध सूर्य या चन्द्र से हो
– अगर राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो
– राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो
कैसे करें पितृ-दोष का निवारण?
– अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं, खीर जरूर खिलाएं
– पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करें .
– ग्रहण के समय दान अवश्य करें .
– श्रीमदभगवद्गीता का नित्य प्रातः पाठ करें .
– अगर मामला ज्यादा जटिल हो तो, श्रीमद्भागवद का पाठ कराएँ.
– अपने कर्मों को जहाँ तक हो सके शुद्ध रखने का प्रयास करें