शिवलिंग को शिव जी का निराकार स्वरुप मना जाता है.शिव पूजा में इसकी सर्वाधिक मान्यता है. शिवलिंग में शिव और शक्ति दोनों ही समाहित होते हैं. शिवलिंग की उपासना करने से दोनों की ही उपासना सम्पूर्ण हो जाती है. विभिन्न प्रकार के शिव लिंगों की पूजा करने का प्रावधान है जैसे- स्वयंभू शिवलिंग, नर्मदेश्वर शिवलिंग,जनेउधारी शिवलिंग,सोने और चांदी के शिवलिंग और पारद शिवलिंग. स्वयंभू शिवलिंग की पूजा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है और फलदायी भी.
शिवलिंग की महत्वपूर्ण बातें क्या हैं और क्या है इसकी स्थापना के नियम?
– शिवलिंग की पूजा उपासना शिव पूजा में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं
– शिवलिंग घर में अलग तरह से स्थापित होता है और मंदिर में अलग तरीके से.
– शिवलिंग कहीं भी स्थापित हो पर उसकी वेदी का मुख उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
– घर में स्थापित किया जाने वाला शिवलिंग बहुत ज्यादा बड़ा न हो , अधिक से अधिक ६ इंच का होना चाहिए.
– मंदिर में कितना भी बड़ा शिवलिंग स्थापित किया जा सकता है.
– विशेष उद्देश्यों तथा कामनाओं की प्राप्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की जाती है.
शिवलिंग की पूजा में क्या-क्या अर्पित करना चाहिए?
– शिवजी की पूजा में दो वस्तुओं का विशेष महत्व है – जल और बेलपत्र
– इन दोनो ही वस्तुओं से शिव जी की विधिवत पूजा की जा सकती है .
– इसके अलावा कच्चा दूध , सुगंध, गन्ने का रस , चन्दन से भी शिव जी का अभिषेक किया जाता है.
– शिव जी को कभी भी सेमल,जूही,कदम्ब और केतकी अर्पित नहीं करनी चाहिए.
शिवलिंग पर कुछ भी अर्पित करते समय किन बातों का ख्याल रखें?
– शिव लिंग पर जलीय पदार्थ अर्पित करते समय उसकी धारा बनाकर अर्पित करना चाहिए
– ठोस पदार्थ अर्पित करते समय , दोनों हाथों से उसे शिवलिंग पर लगाएं
– शिव लिंग पर कुछ भी अर्पित करें, अंत में जल जरूर अर्पित करें
– शिव लिंग पर तामसिक चीज़ें अर्पित नहीं करनी चाहिए , साथ ही मारण प्रयोग भी नहीं करना चाहिए