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सरकार न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करेगी : मुख्यमंत्री….

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प्रदेश सरकार राज्य में न्यायिक प्रणाली के सुधार के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करेगी क्योंकि प्रदेश के नागरिकों को न्याय प्रदान करना राज्य का संवैधानिक दायित्व है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज शिमला के समीप घंडल में न्यायिक अकादमी के प्रशासनिक खण्ड के लोकार्पण अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। इस भवन का निर्माण 81 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ईमानदार एवं कर्मठ न्यायिक प्रणाली स्थापित है, जिसके फलस्वरूप राज्य की न्यायपालिका में वर्ष 2016 में कुल 206727 लम्बित मामलों में से पांच वर्ष से अधिक समय से मात्र 5.96 प्रतिशत मामले लम्बित हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2016 में भारत में अधीनस्थ न्यायालयों से संबंधित प्रकाशित रिपोर्ट में बताया है कि उत्तरी-पूर्वी राज्यों को छोड़कर हिमाचल प्रदेश पुराने मामलों के संदर्भ में सर्वाधिक परिणाम प्रदान करने वाला राज्य है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र केवल लोगों की प्रभुता पर ही आधारित नहीं है बल्कि संविधान में भी उल्लेखित है कि न्यायपालिका राज्य का तीसरा स्तम्भ है, जो कि संविधान एवं लोकतंत्र की सुरक्षा में एक अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका किसी भी लोकतंत्र का आधार है तथा एक मजबूत लोकतंत्र के लिए इन तीनों शाखाओं के बीच सौहार्द व सामंजस्य होना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि इस शानदार भवन को निर्मित करने में सरकार हरसंभव सहायता प्रदान करने में उदारवादी रही है। उन्होंने कहा कि अकादमी के निर्माण के लिए 165 करोड़ रुपये पहले ही स्वीकृत कर दिए गए हैं।
जय राम ठाकुर ने आशा जताई कि अकादमी सभी को न्यायिक ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ इसका प्रचार-प्रसार भी करेगी। इसके अतिरिक्त अकादमी आज के युग में संवैधानिक, मूलभूत एवं आर्थिक रूप से आवश्यक सामाजिक न्याय का प्रचार करने में भी सहायता करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परिसर एवं अकादमी निश्चय ही प्रदेश का मुख्य आकर्षण बनकर उभरेगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने शांतिप्रिय लोगों के कारण देवभूमि के नाम से जाना जाता है लेकिन फिर भी प्रदेश में कुछ अप्रिय घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की न्यायपालिका ईमानदारी व समर्पण भाव के लिए जानी जाती है तथा विधायिका व न्यायपालिका दोनों ही प्रदेश के लोगों को एक समान उद्देश्य से उचित तरीके से सेवाएं प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि विधायिका का दायित्व लोगों को सामाजिक न्याय प्रदान करना है जिसके लिए न्यायपालिका उचित माध्यम है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को कानून की पालना करनी चाहिए तथा सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक कार्य व कार्रवाई कानून की सीमा में किया जाए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि हम सभी को समाज को प्रगतिशील, कानूनप्रिय तथा शांतिप्रिय बनाने के लिए मिल-जुलकर कार्य करना चाहिए, जिसके लिए न् न्यायपालिका की सहभागिता व सहायता भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को नए विचार, पहल तथा सोच से परिचित होने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों को बेहतर शासन प्रदान करने व राज्य के हित के लिए न्यायपालिका में सुझाव का स्वागत करेगी।
भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि न्यायिक अकादमी एक मनमोहक व शांत स्थान पर स्थित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश पूरे विश्व में अपार पर्यटन संभावना वाले सुन्दर राज्य के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता है कि राज्य सरकार इस संभावना का पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि अकादमी अधिवक्ताओं को अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए श्रेष्ठ संस्थान साबित होगी। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ न्यायिक प्रणाली के लिए अधिवक्ताओं को न केवल बुद्धिजीवी होना चाहिए बल्कि सामाजिक रूप से भी प्रबुध होना चाहिए। अकादमी इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों तथा अधिवक्ताओं को नवीनतम जानकारी से अवगत करवाने के लिए नियमित रूप से कार्यशालाआें, कान्फ्रेंस व सेमीनारों का आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आज के समय में नितान्त आवश्यक है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष  न्यायमूर्ति धर्म चन्द चौधरी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्यों से स्वागत किया। उन्होंने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान न्यायिक प्रणाली में आम जनता के साथ वार्तालाप आरम्भ किया था। उन्होंने कहा कि न्यायिक अकादमी विधिक विद्यार्थियों, अधिवक्ताओं एवं विधिक विशेषज्ञों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करने में सफल साबित होगी।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति त्रिलोक सिंह चौहान ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि अकादमी का निर्माण केवल राज्य सरकार की उदारवादी सहायता के कारण ही संभव हो पाया है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर, न्यायमूर्ति विवेक सिंह, न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल, न्यायमूर्ति संदीप शर्मा तथा न्यायमूर्ति चन्द्र भूषण भरोवालिया, गुजरात मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायधीश, बार कांउसिल के सदस्य, शिमला नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट, एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता भी इस अवसर पर अन्य गणमान्यों सहित उपस्थित थे।

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