बेल नामक वृक्ष की पत्तियों को बेलपत्र कहा जाता है. तीन पत्तियाँ एक ही प्रकार से जुडी होती हैं और इनको एक पत्ता माना जाता है. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र के अदभुत प्रयोग होते हैं. बिना बेलपत्र के शिव जी की पूजा सम्पूर्ण नहीं हो सकती. बेलपत्र के दैवीय प्रयोग के अलावा, औषधीय प्रयोग भी होते हैं. इसके प्रयोग से तमाम बीमारियाँ गायब की जा सकती हैं. सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के साथ करने से चमत्कारी परिणाम मिल सकते हैं.
एक बेलपत्र में तीन पत्तियाँ होनी चाहिए.
पत्तियाँ टूटी हुई न हों और उनमे छेद भी नहीं होना चाहिए.
बेलपत्र जब भी शिव जी को अर्पित करें , चिकनी तरफ से ही चढाएं.
एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार बार भी चढ़ा सकते हैं .
बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए , जब भी बेलपत्र अर्पित करें साथ में जल की धारा जरूर चढ़ाएं.
108 बेलपत्र ले लें
हर बेलपत्र पर चन्दन से “राम” लिखें
“ॐ नमः शिवाय” कहते हुये बेलपत्र को शिव लिंग पर चढाते जाएँ.
जब 108 बेल पत्र चढ़ा लें तो शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें .
यह प्रयोग सावन में विशेष फलदायी होता है
सावन में किसी भी दिन 108 बेलपत्र ले लें
एक पात्र में चन्दन का इत्र ले लें
हर बेलपत्र के साथ “ॐ हौं जूं सः” कहें
इसके बाद शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें .
उतने बेलपत्र ले लें , जितनी आपकी उम्र है
एक पात्र में दूध ले लें
एक एक बेलपत्र दूध में डुबाते जाएँ और शिवलिंग पर अर्पित करें.
हर बेलपत्र के साथ “ॐ नमो भगवते महादेवाय” कहें
इसके बाद संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें
यह प्रयोग सावन में किसी भी दिन करें
आँखों की ज्योति बढ़ाने के लिए , बेल के पत्तों का रस आँखों में टपकाने से राहत मिलती है. कफ से राहत पाने के लिए बेल के पत्तों का काढ़ा शहद में मिलाकर पीना उत्तम होता है. बेलपत्र के ग्यारह पत्तों का रस निकालकर सुबह सुबह पीने से , कितना ही पुराना सर दर्द क्यों न हो , ठीक हो जाता है.