ऊना: कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्रिहोत्री ने बीपीएल परिवारों पर फैसले थोपने पर जयराम सरकार की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व ग्रामीण विकास मंत्री प्रदेश में गरीब को न्याय देने के स्थान पर गरीब का हक मारने का काम करना चाहते हैं। सोमवार को जारी बयान में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार बीपीएल के लिए केंद्र सरकार के तय नियमों को तोड़ रही है और गरीब परिवारों को सूची से बाहर करने के लिए हलफनामा 25 सौ रुपये आमदन का ले रही है।
गरीब को सुविधाएं देने के स्थान पर प्रदेश सरकार गरीब व्यक्ति को कानूनी अड़चनों में फंसाने का षड्यंत्र रच रही है। प्रदेश में करीब दो लाख 82 हजार परिवार बीपीएल सूची में हैं। सरकार के इस निर्णय से करीब दो लाख परिवारों को बीपीएल सूची से हटना पड़ेगा। ग्राम सभा व शहरी कमेटियां समय-समय पर विचार कर गरीब परिवारों को जोड़ती हैं।
कुछ परिवार हटते भी हैं, लेकिन पहली बार प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं कि 25 सौ रुपये का हलफनामा लेना, 20 दिन मनरेगा में काम करना और स्किल डेवल्पमेंट का कोर्स करना परिवार के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे लगता है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री को विभाग की कार्यप्रणाली का पता नहीं चल रहा है।
मुकेश ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में गरीब परिवारों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए बीपीएल चयन की प्रक्रिया शुरू की थी। ऐसे में कांग्रेस कभी भी बीपीएल परिवारों के साथ अन्याय नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक दल विधानसभा में बीपीएल परिवारों के प्रति सरकार के तानाशाही रवैये का विरोध करेगा। जरूरत पड़ी तो कांग्रेस संगठन के साथ मिलकर इस मामले को जनता के बीच उठाया जाएगा। उन्होंने हैरानी जताई कि बीपीएल के करीब 45 हजार कार्डों को भाजपा सरकार ने काट दिया है।
ऐसे में गरीब परिवारों की लड़ाई कांग्रेस लड़ेगी। मुकेश ने कहा कि 25 सौ रुपये प्रतिमाह का मतलब प्रतिदिन 75 रुपये की आय पूरे परिवार की चाहिए। प्रदेश सरकार बताए कि यह कैसा मापदंड है। मनरेगा में ही दिहाड़ी 100 रुपये से ऊपर है। नीति में बेहतर परिवर्तन हो, इसमें हर्ज नहीं है, लेकिन गरीब को ही खत्म कर दें, ऐसी नीति हिमाचल में चलने नहीं दी जाएगी।
लंबित मांगों को लेकर मिड-डे मील कर्मचारियों ने सोमवार को सचिवालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान सैकड़ों कर्मचारियों ने नारेबाजी कर प्रदेश सरकार से बिलासुपर में हुए समझौते के तहत मांगों को पूरा करने की मांग की। मिड-डे-मील कर्मचारी यूनियन प्रधान कमलेश ठकुर ने कहा कि सरकार के साथ कर्मचारियों का एक समझौता हुआ था। इस पर कर्मचारियों ने हड़ताल भी रोकी थी, लेकिन अब सरकार कोई निर्णय मांगों पर नहीं ले रही है।
उन्होंने बताया कि उनकी मुख्य मांग है कि मिड-डे-मील कर्मचारियों का मासिक वेतन 18 हजार रुपये करने व कर्मचारियों का हटाया न जाए और जिन कर्मचारियों को हटाया गया है उन्हें जल्द से जल्द नजदीकी स्कूलों में रखा जाए। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों ने महिलाओं को रक्षाबंधन, भैयादूज, करवाचौथ पर छुट्टी दिए जाने की मांग की।