देश में अपनी तरह का पहला अन्तर कछारीय जल प्रयोग
नर्मदा अपनी प्रवाह भूमि से 400 मीटर ऊँचे मालवा पठार पर पहुँच कर मालवा के सुप्तप्राय चार नदी कछारों को सक्रिय करेगी। किसी नदी के जल के अन्तर कछारीय उपयोग के क्षेत्र में ऐसा प्रयोग अब तक नहीं हुआ है। नदी जल के अन्तर कछारीय उपयोग की दिशा में मध्यप्रदेश में देश का अपनी तरह का पहला प्रयोग होने जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण ने 1970 के दशक में मध्यप्रदेश की माँग पर नर्मदा जल के अन्तर कछारीय उपयोग के लिये सहमति प्रदान की थी। एक लंबे समय तक अन्तर कछारीय जल उपयोग की जटिलताओं के कारण इस दिशा में कुछ नहीं किया जा सका। प्रदेश के मालवांचल में गहराते जल संकट और इस संकट के समाधान के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की सोच ने इस कार्य की जटिलताओं से जूझते हुए इस प्रयोग का मार्ग प्रशस्त किया है।
अब नर्मदा का जल अपनी प्रवाह भूमि से सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के बेजोड़ तालमेल से 400 मीटर ऊपर पहुँच कर मालवा की गम्भीर, कालीसिंध, पार्वती और क्षिप्रा नदी के कछारों में पहुँचेगा। नर्मदा का 200 मिलियन क्यूबिक मीटर जल गम्भीर नदी कछार में पहुँचाने की नर्मदा मालवा गम्भीर लिंक योजना पूर्णता की स्थिति में है। यह इन्दौर और उज्जैन जिलों के 158 गाँवों का 50 हजार हेक्टेयर रकबा सिंचित करेगी। नर्मदा का 333 मिलियन क्यूबिक मीटर जल पार्वती नदी कछार में पहुँचाने की योजना क्रियान्वयन के लिये तैयार है। यह सीहोर जिले के 187 गाँवों का एक लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित करेगी। इसी के दूसरे चरण में सीहोर और शाजापुर जिलों के 182 गाँवों का एक लाख हेक्टेयर रकबा सिंचित होगा।
आगामी योजनाओं में नर्मदा, कालीसिंध और क्षिप्रा के कछारों में पहुँचकर देवास, शाजापुर, सीहोर, राजगढ और उज्जैन जिलों में 2 लाख 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित करेगी। नर्मदा जल के अन्तर कछारीय उपयोग की यह योजनाएँ आने वाले समय में देशभर के इंजीनियरों और योजनाकारों को अध्ययन के लिये आकर्षित करेंगी।