यूपी में भाजपा के खिलाफ सपा-बसपा गठबंधन में अब कांग्रेस और रालोद के शामिल होने की राह बन गई है। बसपा, सपा, कांग्रेस व रालोद मिल कर हर सीट पर संयुक्त प्रत्याशी देंगे। लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसके जरिए तगड़ी चुनौती मिल सकती है। कौन दल कितनी सीटों पर लड़ेगा? इस पर अंतिम निर्णय होना बाकी है।
सूत्र बताते हैं तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा समझौते को लेकर अभी बात बन नहीं पाई है। इस कारण भी यूपी में सीटों के बंटवारे को फैसला नहीं हो पा रहा है। पर, बताया जा रहा है कि बसपा 40 के आस पास सीटें चाहती है और बाकी सीटें सपा, कांग्रेस, रालोद को देने को तैयार है। अब बाकी 40 में सपा को अपनी सीटें कम कर कांग्रेस व रालोद को उनकी स्थिति के हिसाब से सीटें देनी होंगी। सपा अगर 30 पर लड़ती है तो 10 सीटे कांग्रेस व रालोद को दी जा सकती हैं।
रालोद को कैराना, बागपत व मथुरा सीट मिल सकती है। अब कांग्रेस को 8 सीटों के लिए तैयार करना मुश्किल होगा। ऐसे में या तो सपा या फिर बसपा अपनी ओर से दो चार सीटें और छोड़नी पड़ेगी। सपा को एक दो सीटें पूर्वांचल में सहयोगी निषाद पार्टी को अपने कोटे से ही देनी है।
गेस्ट हाउस कांड का मुद्दा उछालेगी भाजपा: सपा बसपा के बीच दुश्मनी का सबब बना गेस्टहाउस कांड को जिक्र यह दल नहीं करते। पर भाजपा इसे ही उछाल कर दोनों दलों के लिए बेचैनी पैदा करने को कोशिश करेगी। सपा बसपा दोनों की राहे तब अलग हो गईं जब 2 जून 1995 को लखनऊ के मीराबाई मार्ग राजकीय गेस्ट हाउस में ठहरी मायावती पर अराजक सपाइयों ने हमला करने की कोशिश की। बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव में यूपी में बन रहे गठबंधन में सम्मानजनक सीटें देने की बात कह चुकी हैं जबकि सपा मुखिया अखिलेश कह चुके हैं कि गठबंधन बनाने के लिए वह कुर्बानी देने को तैयार हैं।
इन चारों दलों के साथ आने से मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं हो पाएगा और भाजपा के लिए चुनौती बढ़ेगी। मायावती अपने वोट बैंक को आसानी से ट्रांसफर करा लेती रही हैं। पर, सपा का वोट कितना बसपा को जा सकता है, यह अभी साबित होना है।