मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश की आदिवासी आबादी की संस्कृति और रीति-रिवाजों के संरक्षण के साथ उन्हें विकास की मुख्य-धारा में लाने के लिये प्रतिबद्ध प्रयास कर रही है। पिछले चौदह-पन्द्रह वर्षों में इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। अब सरकार ने आदिवासियों के समग्र विकास के लिये आगामी पाँच सालों का रोडमैप तैयार किया है। रोडमैप के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार है।
2 लाख करोड़ से अधिक राशि होगी कल्याण पर खर्च
राज्य में जनजातीय क्षेत्रों एवं जनजातियों के कल्याण के लिये आगामी पाँच वर्षों में रुपये 2 लाख करोड़ से अधिक राशि व्यय की जायेगी।
स्वास्थ्य सुविधाएँ
जनजातीय क्षेत्रों में आगामी पाँच वर्षों में 2261 स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। इससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर कवरेज प्रदाय करते हुए शिशु और मातृ मृत्यु दर में कमी लायी जायेगी। जरूरत के मुताबिक मोबाइल चिकित्सालय भी संचालित किये जायेंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं पर आगामी पाँच वर्षों में 9100 करोड़ व्यय किये जायेंगे।
स्वास्थ्य केन्द्र |
उपलब्धता |
उप स्वास्थ्य केन्द्र |
2952 |
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र |
332 |
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र |
104 |
कुपोषण से जंग
राज्य में गरीबी रेखा से नीचे के अनुसूचित जनजाति परिवारों का प्रतिशत |
53.65 % |
विशेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिये प्रति माह 1000 रुपये की राशि परिवार की महिला मुखिया के खाते में जमा की जा रही है। यह क्रम लगातार रहेगा। चिन्हित अति कुपोषित क्षेत्रों में संबंधित परिवारों को प्रति सदस्य प्रति माह एक किलोग्राम दाल 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध करायी जायेगी। महिला-बाल विकास के लिये आगामी पाँच वषों में 7900 करोड़ व्यय किये जायेंगे।
सिंचाई सुविधाएँ
जनजातीय क्षेत्रों में सिंचित रकबा राज्य के औसत से कम है। आगामी पाँच वर्षों में जनजातीय क्षेत्रों में राज्य के औसत सिंचित क्षेत्र के बराबर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 2 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचाई से संबंधित संरचनाओं का निर्माण किया जायेगा। आगामी पाँच वर्षों में जनजातीय इलाकों में सिंचाई सुविधाओं पर 12000 करोड़ रुपये व्यय किये जायेंगे।
किसान-कल्याण एवं कृषि विकास
जनजातीय कृषकों को खेती-बाड़ी, पशुपालन, मुर्गीपालन, मत्स्य-पालन आदि के लिये आवश्यक सहायता उपलब्ध कराते हुए उनकी आय दोगुनी की जायेगी।
सड़क, आवास, बिजली सुविधा
सभी जनजातीय बसाहटों को बारहमासी सड़कों से जोड़ा जायेगा। जनजातीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण के लिये आगामी पाँच वर्षों में 11,000 करोड़ व्यय किये जायेंगे।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में कुल 47 लाख 50 हजार आवासहीन परिवारों में जनजातीय आवासहीन परिवारों की संख्या 16 लाख 65 हजार है। वर्ष 2022 तक इन सभी आवासहीन जनजातीय परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध करवाये जायेंगे। साथ ही सभी जनजातीय परिवारों के आवासों में विद्युत कनेक्शन प्रदान किये जायेंगे।
जनजातीय सांख्यिकी
प्रदेश की कुल जनसंख्या |
7.26 करोड़ |
अनुसूचित जनजाति जनसंख्या |
1.53 करोड़ |
कुल जनसंख्या से प्रकाशित |
21.09 |
राज्य में गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों का प्रतिशत |
31.65 |
राज्य में गरीबी रेखा के नीचे के अनुसूचित जनजाति परिवारों का प्रतिशत |
53.65 |
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के परिवार |
3543865 |
पेयजल सुविधा
जनजातीय क्षेत्रों में पेयजल सुविधा के लिये पाँच वर्षों में रुपये 4900 करोड़ व्यय किये जायेंगे। इस अवधि में मुख्यमंत्री नल-जल योजना के जरिये पाँच सौ तक की आबादी वाले ग्रामों में सभी जनजातीय परिवारों को पेयजल सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। इससे 49 हजार बसाहटों की 87 लाख 26 हजार जनजातीय जनसंख्या लाभान्वित होगी।
शिक्षा
जनजातीय क्षेत्रों और जनजातियों की शिक्षा के लिये आगामी पाँच वर्षों में 60000 करोड़ व्यय किये जायेंगे। जनजातीय विद्यार्थियों को कक्षा एक से पी.एच.डी. तक नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करवायी जायेगी। कक्षा पहली से 12वीं तक के जनजातीय विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तकों के साथ-साथ नि:शुल्क स्टेशनरी भी उपलब्ध करवायी जायेगी। सुपर 400 योजना में चार संभागीय मुख्यालय पर सलाना 1600 छात्रों को उत्कृष्ट कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से इंजीनियरिंग, मेडिकल और लॉ की राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं में प्रवेश के लिये कोचिंग दी जायेगी। साथ ही हाई स्कूलों का उन्नयन कर 200 हायर सेकेण्ड्री स्कूल प्रारम्भ किये जायेंगे। आगामी पाँच वर्षों में 100 सीनियर छात्रावास और 50 महाविद्यालयीन छात्रावास प्रारम्भ किये जायेंगे। कुल 80 कन्या शिक्षा परिसरों का छात्रावास भवनों सहित, सात क्रीड़ा परिसरों का उच्च सुविधा के साथ और 13 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का निर्माण पूर्ण किया जायेगा। साथ ही 65 नये एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय खोले जायेंगे। वर्तमान में 4 संभागीय मुख्यालयों भोपाल, इन्दौर, जबलपुर तथा शहडोल में उत्कृष्ट शिक्षा के लिये गुरुकुलम आवासीय विद्यालय संचालिय हैं। अन्य संभागीय मुख्यालय पर भी गुरुकुलम आवासीय विद्यालय संचालित किये जायेंगे।
प्रशिक्षण, स्व-रोज़गार एवं रोज़गार
जनजातियों के विकास के लिये जनजातीय कार्य विभाग की प्राथमिकता मुख्य रूप से शैक्षणिक गतिविधियाँ रही हैं। अब शैक्षणिक और सामाजिक विकास के साथ ही कौशल विकास और रोज़गार को प्राथमिकता में रखकर योजनाएँ क्रियान्वित की जायेंगी। आगामी पाँच वर्षों में 10 लाख जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित कर स्व-रोज़गार/ रोज़गार उपलब्ध करवाया जायेगा। जनजातीय क्षेत्रों में कुटीर और लघु उद्योगों के क्लस्टर विकसित किये जायेंगे। जनजातीय क्षेत्रों में सर्व-सुविधायुक्त बड़े कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। शासकीय विभागों में जनजातीय वर्ग के रिक्त पदों पर नियुक्ति की जायेगी।
अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वनवासी (वन अधिकार मान्यता प्राप्त) अधिनियम 2006 तथा नियम 2008 के अंतर्गत वनाधिकार में आगेनिरस्त दावों का पुन: परीक्षण किया जायेगा और पात्र लोगों को वनाधिकार पट्टे दिये जायेंगे। प्रत्येक वनाधिकार पट्टाधारक को शासन के विभिन्न विभागों की हितग्राहीमूलक योजना से लाभान्वित किया जायेगा। वनाधिकार पट्टाधारकों को खाद, बीज और भावांतर योजना का लाभ दिया जा रहा है। यह निरंतर जारी रहेगा। वनाधिकार पट्टाधारकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिये उनके खेत तक एक वर्ष में विद्युत लाइन का विस्तार किया जायेगा।
वन एवं वनोत्पाद
लगभग 18 लाख जनजातीय सदस्यों को तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिये रुपये 1500 करोड़ से अधिक का पारिश्रमिक एवं बोनस दिया जायेगा। सामाजिक सुरक्षा के लिये समूह बीमा योजना का लाभ दिलाया जायेगा। निस्तार के तहत लगभग 100 करोड़ की रियायत दी जायेगी। मालिक मकबूजा के अंतर्गत पात्र व्यक्तियों को समुचित निर्धारित राशि का वितरण किया जायेगा। संयुक्त वन प्रबंधन के अंतर्गत काष्ठ/ बाँस का लगभग रुपये 300 करोड़ के लाभांश का वितरण किया जायेगा। वन्य-प्राणी प्रबंधन पर रुपये 100 करोड़ का व्यय किया जायेगा।
विभागीय प्रक्रियाओं का कम्प्यूटरीकरण
योजनाओं के संचालन में पारदर्शिता के लिये कम्प्यूटरीकृत कर सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन की जायेंगी। जनजातीय कार्य विभाग की योजनाओं की जानकारी और हितग्राहियों को लाभ प्रदाय की प्रक्रिया में सरलता के लिये मोबाइल एप विकसित किया जायेगा।
जनजातीय संस्कृति, कलाओं, भाषाओं का संरक्षण और संवर्द्धन
प्रदेश की जनजातियों की विरासतों को संरक्षित करते हुए उनकी पारम्परिक संस्कृति, कलाओं और बोली-भाषाओं के प्रोत्साहन और संवर्द्धन संबंधी गतिविधियों के लिये विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। भोपाल स्थित जनजातीय संग्रहालय विश्वभर में अनूठा है। अब इसे पूरे देश की जनजातियों का प्रतिनिधि संग्रहालय बनाया जायेगा तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देने की योजना भी क्रियान्वित की जायेगी। विभिन्न जनजातियों की पारंपरिक बोली-भाषाओं के संरक्षण और प्रोत्साहन संबंधी गतिविधियों के साथ-साथ उनके तीज-त्यौहारों, मेले-मड़इयों और देवी-देवताओं के स्थलों के परिरक्षण और संवर्द्धन से संबंधित विशेष प्रयास किये जायेंगे। विगत वर्षों में विभिन्न जनजातीय भाषाओं के शब्दकोष भीली, भिलाली, बारेली, गोण्डी, कोरकू, बैगानी आदि तथा विभिन्न जनजातियों की संस्कृति एवं देवलोक पर केन्द्रित पुस्तकें प्रकाशित की गयी हैं। यह काम आगे भी निरंतर जारी रहेगा।
देश की आज़ादी की लड़ाई में योगदान देने वाले जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे टंट्या भील और भीमा नायक के स्मारकों की स्थापना करने में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी रहा है। ऐसे ही अन्य जनजातीय स्वातंत्र्य वीरों जैसे शंकर शाह, रघुनाथ शाह आदि के स्मारकों की स्थापना प्रदेश के विभिन्न अंचलों में की जायेगी। साथ ही जनजातीय वीरों/ वीरांगनाओं जैसे रानी दुर्गावती, रानी कमलापति आदि के स्मारक भी बनाये जायेंगे। स्वाधीनता संग्राम में जनजातीय योगदान को रेखांकित करने वाला अनुवार्षिक उत्सव ‘आदि विद्रोही’ काफी लोकप्रिय हुआ है। अब इसे प्रदेश के भीतरी अंचलों में भी ले जाया जायेगा।
मध्यप्रदेश ने जनजाति वर्ग के पारम्परिक औषधीय ज्ञान का अभिलेखीकरण, संरक्षण और प्रदर्शन में महत्वपूर्ण अग्रता हासिल की है। अगले पाँच वर्षों में इसका विस्तार और विक्रन्द्रीकरण किया जायेगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र में जनजातीय पारम्परिक ज्ञानाधारों का सामाजिक हित में व्यापक उपयोग करने की योजना पर अमल किया जायेगा।
जनजातीय कलाकारों को प्रोत्साहन और संरक्षण प्रदान करने के लिये जनजातीय कलाकार कल्याण मंडल का गठन किया जायेगा। जनजातीय कला मंडलियों को वाद्य यंत्र और अन्य उपकरण दिये जायेंगे। जनजातीय कलाकारों की कलाकृतियों को विश्व बाजार उपलब्ध करवाने के लिये ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जायेगा और इसके लिये जनजातीय कलाकारों को प्रशिक्षित किया जायेगा।