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हिमाचल में 38193 परिवार बीपीएल सूची से बाहर…

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प्रदेश सरकार ने 7 महीने के भीतर 38193 परिवारों को बीपीएल सूची से बाहर किया है। भाजपा सरकार बनने के बाद पंचायती राज विभाग ने यह कार्रवाई अमल में लाई है। इसमें कई ऐसे लोग शामिल थे, जो इसके पात्र नहीं थे। पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने यह जानकारी पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल, कुल्लू के विधायक सुंदर सिंह और हरोली के विधायक मुकेश अग्निहोत्री की ओर से पूछे गए लिखित प्रश्न के उत्तर में दी। कंवर ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 2,82,370 परिवारों के चयन करने का लक्ष्य रखा था। इस दौरान 38,143 परिवारों को हटाया गया जबकि 32176 नए परिवारों को सूची में शामिल किया गया है। बीपीएल गणना 2002 के लिए गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की पहचान के लिए मानदंड निर्धारित किए गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग ने बीपीएल चयन के लिए 2500 रुपये मासिक आय को शामिल किया।

ग्रामसभा में बीपीएल सूचियों की समीक्षा की गई। विशेष अभियान के तहत मार्च और अप्रैल -2018 में आयोजित ग्राम सभाओं में अपात्र परिवारों को सूची से बाहर किया गया। उनके स्थान पर पात्र परिवार शामिल किए गए हैं। हिमाचल के बागवानी ब्लॉकों मेें कर्मचारियों का युक्तिकरण किया जाएगा। जहां कम पद सृजित हैं, वहां और पदों को सृजित किया जाएगा। जहां ज्यादा हैं, वहां से कर्मचारी दूसरी जगह भेजे जाएंगे।

यह जानकारी बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान आनी के विधायक किशोरी लाल के सवाल के जवाब में दी। मंत्री ने कहा कि उद्यान विकास अधिकारियों के बागवानी महकमे में 264 पद स्वीकृत हैं। इनमेें से 92 पद खाली हैं। 71 पदों को भरने के लिए लोक सेवा आयोग को कहा गया है। हम ये उम्मीद करते हैं कि इन पदों को भी जल्दी भर दिया जाएगा। इसी तरह से बागवानी विस्तार अधिकारियों के पदों को भी देखा जा रहा है। हमारे पास उद्यान विभाग में बड़े प्रोजेक्ट आए हैं। ये जरूरी है कि पहले रिक्तियां भरनी पड़ेंगी। केवल तभी ये ठीक से लागू हो पाएंगे। कई ब्लॉकों में ज्यादा पद सृजित हैं तो कहीं कम पदों का सृजन किया गया है।

सभी ब्लॉकों में अधिकारियों और कर्मचारियों के पदों का युक्तिकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आनी में उद्यान विभाग में विभिन्न श्रेणियों के 46 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 17 पद रिक्त हैं। बंदरों के आतंक से परेशान लोगों को हो परेशानी दूर करने के लिए बंदरों को मारना होगा। विभाग बंदर मारने पर बतौर इनाम 500 रुपये देगा। वन मंत्री गोविंद ठाकुर की ओर से विधानसभा में किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी ओर ठियोग से विधायक राकेश सिंघा की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में यह लिखित जानकारी दी गई है।

स्पष्ट किया गया है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों के अनुसार विभाग बंदरों को नहीं मार सकता। बंदरों को सिर्फ प्रभावित व्यक्ति ही मार सकता है। वर्तमान में शिमला नगर निगम सहित 38 तहसीलों, सब तहसीलों में बंदरों को 19 दिसंबर 2018 तक वर्मिन घोषित किया है। ऐसे में स्थानीय लोग शिकारियों की मदद से बंदरों को भगा या प्रावधानों के अनुरूप मार सकते हैं। 24 मई 2016 से अब तक प्रदेश में महज पांच बंदर ही आधिकारिक रूप से मारे गए हैं, जिन्हें मारने वालों को पांच-पांच सौ रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दी गई है। इनमें चार बंदरों को सिरमौर के संगड़ाह में और कुनिहार वन मंडल में एक किसान ने एक बंदर को मारा है।

लोगों को बंदरों की समस्या से बचने के लिए जागरूक करने के लिए प्रचार सामग्री वितरित की जा रही है। इसके साथ ही पंचायतें भी अपने स्तर पर अपने कार्य क्षेत्र के अंतर्गत शिकारी दल गठित कर बंदरों को भगाकर या मारकर किसानों की मदद कर सकती हैं।3 जुलाई को चूड़धार से लापता हुई छह साल की एक बच्ची को करीब दो महीने बाद भी सिरमौर पुलिस तलाश नहीं कर सकी है। पुलिस का दावा है कि उसने तलाश के लिए ड्रोन से लेकर खोजी कुत्तों की मदद ली। साथ ही स्थानीय लोगों व पुलिस के साथ मिलकर खोजी अभियान और तलाश के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) भी गठित किया है। लेेकिन दो महीने की तलाश के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं।

सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान रेणुकाजी से विधायक विनय कुमार के सवाल के जवाब में गृह विभाग की ओर से जारी लिखित जवाब में बताया गया कि मामले में सिरमौर के थाना संगड़ाह में धारा 363 के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। साथ ही बच्ची की तलाश के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा कि बिजली बिल निर्धारित दरों के अनुसार ही विद्युत उपभोक्ताओं को दिए जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों में बिलों का आवंटन दो माह, चार माह या छह माह के बाद दिया जा रहा है, उन बिलों में विद्युत प्रभार का लाभ मासिक आधार पर ही दिया जा रहा है।

सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा अनुदान भी मासिक आधार पर ही दिया जा रहा है। बिल पूरी तरह मासिक आधार पर निर्धारित दरों पर ही दिए जा रहे हैं। उन्होेंने कहा कि अपरिहार्य कारणों से विद्युत बिलों का आवंटन दो माह, चार माह या छह माह के बाद दिया जा रहा है।राज्य सरकार ने इंजीनियर इन चीफ के दफ्तर में 38 बेलदारों की नियुक्ति कर दी है। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान लिखित जवाब में यह जानकारी दी। सरकार ने लोनिवि और अन्य विभागों में कुल 555 पद स्वीकृत किए हैं।
विधायक ने सरकार से जानना चाहा था कि इंजीनियर इन चीफ के दफ्तर में बेलदारों के कितने पद भरे हैं। इसके अतिरिक्त यह भी जानना चाहा था कि क्या सरकार ने लोक निर्माण विभाग के दफ्तरों में ज्यादा स्टाफ तैनात किया है। मुख्यमंत्री ने सदन को विधायक विनय कुमार के सवाल के जवाब में बताया कि लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ, नेशनल हाईवे और क्वालिटी कंट्रोल के दफ्तर के लिए सरकार ने विभिन्न वर्गों के कुल 380 पद स्वीकृत किए हैं।

इसके अलावा आर्केटेक्ट  विंग के लिए विभिन्न वर्गोँ के कुल 114 मंजूर हैं। इसके अतिरिक्त विभाग में विभिन्न श्रेणी के 61 विभिन्न पद स्वीकृत किए हैं।  हिमाचल में पर्यटन विकास को केंद्र सरकार ने 1892 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने विधानसभा में इस आशय की जानकारी देते हुए कहा कि यह राशि पर्यटन विकास के नए आयाम स्थापित करेगी। वहीं, दूसरी तरफ चर्चा में हिस्सा लेते हुए विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन विस्तार के लिए स्वतंत्र प्रभार का पर्यटन मंत्री जरूरी है। उन्होंने कहा कि विधायक राकेश पठानिया को पर्यटन मंत्री बनाया जा सकता है।उनके पास अनुभव भी है। पर्यटन नीति बनाने से पहले विधानसभा समिति बनाकर सुझाव लें। अब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चर्चा पर 29 को सदन में जवाब देंगे।

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