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क्या मोदी सरकार दे पाएगी इन पर जवाब लोकसभा चुनाव 2019 ये 6 जमीनी मुद्दे जो तय करेंगे हार-जीत….

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 देश की लगभग 70 फीसदी आबादी यानी 19 राज्यों में सत्ता पर काबिज बीजेपी के सामने लोकसभा और 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. जिन राज्यों में साल के आखिरी में चुनाव होना है उनमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की ही सरकार है. इन राज्यों का चुनाव परिणाम लोकसभा चुनाव पर जरूर असर डालेंगे. राजस्थान में बीजेपी उपचुनाव में हार गई थी और मध्य प्रदेश से भी 15 सालों से कुर्सी पर काबिज पार्टी के सामने ‘सत्ता विरोधी लहर’ की चुनौती है. मध्य प्रदेश में पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी उसे 50 से ज्यादा सीटों पर नुकसान होता दिख रहा है. लोकसभा चुनाव के लिहाज से पीएम मोदी के लिये यह हालात ठीक नही हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और कांग्रेस का गठबंधन बीजेपी का रास्ता रोकने को तैयार है.

गोरखपुर और फूलपुर जैसी सीटों पर सपा-बसपा ने मिलकर बीजेपी को हराया है तो कैराना में भी यही समीकरण बीजेपी पर भारी पड़ गया. उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 80 में से 71 सीटें मिली थीं और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था. इन राज्‍यों में जो उपचुनाव के परिणाम आए उसके बाद ऐसा लगने लगा है कि पार्टी के कामकाज से लोग बहुत खुश नही हैं.

वहीं बीजेपी कभी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और मिजोरम में कभी चुनाव नहीं जीत पाई है. हालांकि इन राज्यों में पार्टी हर संभव कोशिश कर रही है. दूसरी ओर 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक राहुल गांधी में बहुत बदलाव आ चुका है. वह अब सीधे और तीखे सवाल पीएम मोदी से कर रहे हैं. अब उनको जवाब देने के लिये बीजेपी को दिन में कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ रही है. हालांकि अगर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के संवाद शैली की तुलना की जाये तो कांग्रेस अध्यक्ष अभी काफी पीछे हैं. फिर भी वह बीजेपी को परेशान कर रहे हैं. गुजरात चुनाव में कांग्रेस ने उन्हीं की अगुवाई में प्रचार किया है और जोरदार टक्कर दी है. लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी वैसी ही आक्रामक शैली अपनाने को तैयार हैं.  इसके अलावा मुद्दे भी कई हैंं जहां बीजेपी को इस बार जनता के सामने जवाब देना है.

नौकरी और रोजगार का मुद्दा मोदी सरकार के लिये बड़ी चुनौती बना हुआ है. इसमें दो राय नहीं है कि सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाया है और इसके बलबूते सरकार नौकरियों को लेकर दावे कर रही थी. लेकिन अब पांच साल बीतने को हैं और अभी नौकरियों की संख्या करोड़ों में नहीं पहुंची है. वहीं  विपक्षी पीएम मोदी के पकौड़े वाले बयान का जमकर मजाक उड़ा चुका है. दूसरी ओर स्किल इंडिया मिशन के तहत दिये जाने वाले रोजगार के दावे भी पूरे नहीं हो पाये हैं. स्किल इंडिया केंद्रो से निकले लोग भी नौकरी लिये भटकते देखे गये. उनका कहना है कि वह एसी-टीवी बनाना, लकड़ी का काम, मैकेनिक का काम सीख चुके हैं लेकिन इतनी पूंजी नहीं है कि अपना काम शुरू कर सकें और नौकरी कहीं मिल नहीं रही है.

नोटबंदी पर आरबीआई के आंकड़े आने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है. उसका कहना है कि यह एक सनक भरा फैसला था जिससे अर्थव्यवस्था को लाखों-करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली इसके फायदे गिना रहे हैं. लेकिन चुनाव से पहले काला धन रखने वालों के खिलाफ जिस सख्त कार्रवाई और जेल भेजने की बात की गई थी अभी तक ऐसा नहीं दिखा है. वहीं जीएसटी को लेकर भी अभी तक कई जगहों पर कन्फ्यूजन है. कांग्रेस का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी का फैसला अचानक और बिना किसी तैयारी के लिये गया था जिसकी वजह से लोगों की नौकरियां चली गईं और कई तबाह हो गये है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि पीएम मोदी ने इसी बहाने अपने दोस्तों के कालेधन को सफेद करा लिया है. वहीं डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 70 रुपये से पार कर गई है. इसको लेकर पीएम मोदी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किये जा रहे हैं जिसमें वह रुपये की कीमत को प्रतिष्ठा से जोड़ने की बात कहते हैं.

लोकसभा चुनाव में बीजेपी महंगाई को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही  थी. लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं जिसकी वजह से खुदरा महंगाई धीरे-धीरे बढ़ रही है. इसके अलावा कई जरूरी चीजें पहले से ही महंगी हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में आम आदमी की कमर टूट रही है.

हालांकि अभी तक कोई बड़ा भ्रष्टाचार का मामला अभी तक सामने नहीं आया है जिसमें किसी मंत्री का नाम उछला है लेकिन राफेल डी पर कांग्रेस लगातार सवाल कर रही है. हालांकि बीजेपी भी इसका जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. लेकिन नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या का बैंकों का करोड़ो रुपये लूटकर भाग जाना भी पीएम मोदी के ही कार्यकाल में हुआ है. इसका जवाब मोदी सरकार को जनता के बीच देना होगा. कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष का आरोप है कि इनको भगाने में सरकार का हाथ था. निश्चित तौर पर इससे सरकार की छवि धूमिल हुई है.  वहीं कालाधन पर वापस लाने के वादे पर भी सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं दिया गया है. आम जनता को लगता था कि मोदी सरकार के आने के बाद विदेशी बैंकों में काला धन रखने वालों के नाम भी उजागर होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है.

देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी का ही शासन है और गोरक्षकों का उत्पात हर ओर जारी है. ‘लव जिहाद’ जैसे मुद्दे भी प्रशासन को चिढ़ा रहे हैं. राजधानी की कानून व्यवस्था जो गृह मंत्रालय के अधीन है, वहां भी अपराधों में कमी नहीं है. पुलिस-प्रशासन में जारी भ्रष्टाचार को रोकने लिये भी बीजेपी सरकारों ने नहीं कुछ किया है.

जिस प्रचंड बहुमत को लेकर बीजेपी सत्ता में आई थी उसके कोर वोटरों को लगता था कि इस बार अयोध्या में राम मंदिर बन जायेगा. लेकिन बीजेपी के नेता इसको कोर्ट का मुद्दा बता रहे हैं. वहीं कुछ हिंदुवादी संगठनों ने गोहत्या और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर खूब उत्पात काटा और दलितों पर अत्याचार किये हैं. विपक्ष ने इसका दोष बीजेपी सरकार को दिया है. हालांकि पीएम मोदी ने चुनावों में हमेशा विकास ज्यादा तवज्जो देते रहे हैं लेकिन इन घटनाओं चर्चा का रुख मोड़ दिया है. फिलहाल बीजेपी के सामने कोर वोटर को बचाने की चुनौती है

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