सवर्ण समाज द्वारा एससी/एसटी एक्ट के परिवर्तन के विरोध में देशभर में गुरूवार यानि छह सितंबर को भारत बंद का एलान किया गया है. जिसके चलते प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. गौर हो, इससे पहले 2 अप्रैल को दलितों द्वारा भारत बंद के दौरान देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी. दरअसल बीते 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम में बदलाव करते हुए तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाया था. कोर्ट का कहना था कि निर्दोषों पर इस एक्ट का गलत उपयोग नहीं होता चाहिए. मामले की जांच के बाद एफआईआर दर्ज हो. इसके साथ ही अग्रिम जमानत संबंधित भी बदलाव किए थे.
एक्ट में पदलाव के विरोध के एससी/एसटी वर्ग के लोगों ने जोरदार विरोध जताया था. इस वर्ग की मांग थी कि पहले जैये ही कानून रहे, यानि बिना जांच के तत्काल गिरफ्तारी. इस मांग को लेकर एससी/एसटी वर्ग ने 2 अप्रैल को भारत बंद का एलान किया. जिसमें देशभर में लगभग 14 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें मध्यप्रदेश के लगभग 6-7 लोग शामिल थे.
जिसके बाद सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि मैं विश्वास दिलाता हूं, जो कड़ा कानून बनाया गया था उसे प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा. उसके बाद सरकार ने एससी/एसटी एक्ट के मूल स्वरूम में लाने के लिए आध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बलदने की मांग की. साथ ही संसद में एक बिल पास कर संशोधित कानून बनाया. जिससे पहले जैसे ही यह कानून सख्त हो गया, यादि बिना जांच के गिरफ्तारी होगी.
सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आध्यादेश लाकर एक्ट को फिर से मूल स्वरूप में लाया गया. जिससे सवर्ण वर्ग काफी नाराज है, सवर्णों का कहना है कि इस कानून का गलत उपयोग कर निर्दोष लोगों को फंसाया जाता है. निर्दोषों पर झूठा मामला दर्ज करा दिया जाता था और उनकी गिरफ्तारी हो जाती है. बाद में कोर्ट भले ही दोषमुक्त कर दे लेकिन गिरफ्तारी पर उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होती है. जो कि गलत है.
इसी वजह से सवर्ण समाज इस एक्ट के संशोधन के विरोध में छह सितंबर यानि गुरुवार को भारत बंद का एलान किया है. जिसके चलते प्रदेश के कई जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है, वहीं कई जिलों में धारा -144 लागू कर दी गई है.