ऊना। सरकारी अस्पताल में उचित उपचार न मिलने के कारण बुजुर्ग महिला के परिजनों को मजबूरन निजी अस्पताल की शरण में जाना महंगा पड़ गया। आरोप है कि निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने सर्जरी पर लाखों रुपये लगवा दिए। इसके बावजूद महिला के स्वास्थ्य में लाभ के बजाय सेहत और बिगड़ती गई।
इतना ही नहीं परिजनों ने आरोप लगाया है कि चिकित्सकों ने इलाज के लिए जो प्लेट डाली वह सस्ती और अलग तरह की थी, लेकिन एक्सरे में उन्हें महंगी और ब्रांडेड प्लेट दिखाई गई। बहरहाल इस मामले की शिकायत उपायुक्त तथा एसपी को की गई है। उपायुक्त राकेश प्रजापति ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। मुख्यालय के साथ लगते गांव कुठार खुर्द के सुरेंद्र पाल ने बताया कि वह मां के इलाज के लिए भटक रहा है। सरकारी अस्पताल में इलाज न होने के बाद वह निजी अस्पताल पहुंचा। जहां पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद नतीजा शून्य ही रहा। हालत यह है कि 71 वर्षीय वृद्ध महिला सात माह से बिस्तर पर है। लाखों रुपये खर्चने के बाद भी सही उपचार न मिलने पर बेटे सुरेंद्र पाल ने जिला ऊना के एक निजी अस्पताल पर सही ढंग से उपचार न करने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं सुरेंद्र पाल ने अस्पताल के डॉक्टर पर दुर्व्यवहार और कथित तौर पर बतमीजी करने की लिखित शिकायत भी एसपी और डीसी से की है।
पीड़ित सुरेंद्र पाल ने बताया कि उनकी मां सत्या देवी फरवरी में फर्श पर गिर गई थीं। इस दौरान उनके दाएं टांग की हड्डी कूल्हे के पास से फ्रेक्चर हो गई। वे उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ले गए। यहां पर चिकित्सक ने ऑपरेशन के लिए मना कर दिया और पीजीआई में उपचार करने की बात कही। इसके बाद वे इलाज के लिए शहर के निजी अस्पताल गए। यहां 2 मार्च, 2018 को ऑप्रेशन कर प्लेट डाली गई। कुछ दिन पर दर्द ज्यादा होने पर पुन: अस्पताल पहुंचा, तो पता चला कि स्क्रू निकलने से प्लेट अंदर ही अंदर खुल गई है। इस पर डॉक्टर ने फिर ऑपरेशन कर प्लेट का बाहर निकाला।
जब दूसरी बार एक्सरे किया गया तो उसमें दिखाई गई प्लेट पहले वाले एक्सरे से मेल नहीं खा रही थी। हड्डी को बाहर निकालने के लिए डॉक्टर ने घुटने के पास ड्रिल कर 8 किलो वजन लटका दिया और दो माह से ऐेसे ही रखने को कहा। ज्यादा दर्द होने पर करीब डेढ़ माह पुन: अस्पताल पहुंचे, तो अस्पताल में नया चिकित्सक था। मरीज का चेकअप करवाने के बाद डॉक्टर ने वाईपोलर डालने की बात कही और एक सप्ताह के भीतर ठीक होने का आश्वासन दिया। इस पर डॉक्टर ने कहा कि करीब तीन लाख रुपये खर्च कर पूरे कूल्हे को बदलना पड़ेगा। सुरेंद्र पाल ने बताया कि इससे पहले करीब दो लाख रुपये मां के इलाज पर खर्च आया है, जबकि कुछ पैसे अभी अस्पताल को देने भी हैं। अब माता की तबीयत बहुत बिगड़ गई है। इस संदर्भ में सुरेंद्र पाल ने इसकी शिकायत डीसी, एसपी और सीएमओ ऊना से की है।
इस बारे में निजी अस्पताल के प्रबंधक का कहना है कि रोगी ऑपरेशन के बाद चलते हुए गिर गईं थीं। इसकी वजह से उनका ऑपरेशन खराब हुआ। तकनीकी तौर पर इस मामले में वही डॉक्टर सही से बता सकते हैं, जिन्होंने ऑपरेशन किया है। वह डॉक्टर यहां से चले गए हैं। उन्होंने इलाज में किसी तरह की कोताही बरतने की बात को सिरे से खारिज किया है।