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दिन में सुस्ती और आलस से अलजाइमर का खतरा…..

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अक्‍सर ऐसे लोग देखने को मिलते हैंं, जिन्‍हें दिन में काफी सुस्‍ती आती है। यह मेट्रो, ऑफिस या क्‍लास में कभी भी झपकी लेते रहते हैं। एक अध्‍ययन में कहा गया है कि ऐसे लोगों में अलजाइमर बीमारी होने का खतरा अधिकत रहता है। यह अध्‍ययन अमेरिका स्थित जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है।

इस शोध में दावा किया है कि जो लोग दिन के समय सुस्ती और नींद महसूस करते हैं, उनमें उन लोगों के मुकाबले भूलने की बीमारी होने का तीन गुना ज्‍यादा खतरा होता है जो रात को अच्छी नींद लेते हैं। इस अध्‍ययन में से यह भी पता चला है कि अगर आपको दिन में सुस्ती और नींद आती है तो आप अलजाइमर्ज डिजीज (भूलने की बीमारी) का शिकार हो सकते हैं।

तकरीबन 10 साल तक चले अध्‍ययन के लिए कुछ उम्रदराज लोगों का परीक्षण किया गया। इसमें पता चला कि जिन लोगों को दिन के वक्त सुस्‍ती या आलस महसूस हो रहा था, उनमें अलजाइमर होने का खतरा तीन गुना अधिक था। ऐसे लोगों के दिमाग में बीटा अमायलॉइड नाम का एक प्रोटीन पाया गया। यह प्रोटीन अलजाइमर की बीमारी की पहचान है।

सेफ्टी ऐंड सिक्यॉरिटी फॉर जेनरेशन्स के भी एक सर्वे में पता चला कि भूलने की यह बीमारी हार्टअटैक और कैंसर से भी ज्यादा तेजी से फैल रही है। 2010 से 2013 के बीच ऐसे लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रफेसर बेरी गॉर्डन का कहना है कि यह बीमारी बड़ी तेजी से लोगों में फैल रही है। इसकी एक वजह वर्कप्लेस पर काम का प्रेशर और जल्दी सफलता पाने का जुनून भी हो सकता है।

स्लीप जर्नल में प्रकाशित इस अध्‍ययन ने उन खबरों को पुख्ता कर दिया है, जिनमें अक्सर कहा जाता रहा है कि कम नींद लेने या फिर सही ढंग से नहीं सोने की वजह से अलजाइमर जैसी परेशानी हो सकती है। जॉन हॉप्किन्स के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में असोसिएट प्रफेसर एडम पी. स्पाइरा ने कहा कि अगर कम नींद से अल्‍जाइमर्ज की बीमारी होने का खतरा अधिक रहता है तो फिर हम ऐसे मरीजों का इलाज कर सकते हैं, जिन्हें कम नींद आती है या फिर उनींदे महसूस करते हैं।’

मध्यम उम्र के व्यक्तियों में इस समस्या से ग्रस्त होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। जो खुद के लिए जरा सा भी वक्त नहीं निकालते उनमें यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। स्पाइरा के मुताबिक, अभी तक यह पता नहीं चला है कि दिन के वक्त उनींदा महसूस करने को बीटा अमायलॉइड प्रोटीन के जमा होने से जोड़कर क्यों देखा जा सकता है। एक संभावित कारण यह भी हो सकता है कि दिन में सुस्‍ती महसूस करने की वजह से ही यह प्रोटीन दिमाग में बन जाता हो।

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