अपने अधिकारों को लेकर ग्वालियर में जुटे हजारों भूमिहीनों को मनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्वालियर पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री सीधे मेला मैदान पहुंचे और वहां पर डेरा डाले एकता परिषद के सत्याग्रहियों से मिले। परिषद की ओर से राजगोपाल पीवी ने उन्हें पहले ही आमंत्रण भेजा था। मुख्यमंत्री यहां पर प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास जमीन का एक टुकड़ा होगा और कोई भी भूमिहीन नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि एकता परिषद के सत्याग्रहियों ने 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करने का ऐलान किया है। इससे माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव की बेला में सीएम आंदोलनकारियों को मनाने की कोशिश करेंगे। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जुटे हजारों भूमिहीनों ने मोदी सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जमीन सहित उनकी अन्य मांगें नहीं मानी गईं तो वे अगले लोकसभा चुनाव में सरकार गिरा देंगे। यहां से विचार-मंथन के बाद सभी भूमिहिन 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करेंगे। ग्वालियर के मेला मैदान में देश के अलग-अलग राज्यों से जमा हुए हजारों भूमिहीनों में केंद्र की मोदी सरकार के रवैये को लेकर खासी नाराजगी है।
इसके मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मेरा मानना है कि गरीबी की समस्या को हल करने के दो तरीके हैं – 1) गरीबों को सुविधाएं प्रदान करके & 2) अपनी आय बढ़ाकर। मैं उन दोनों दिशाओं में प्रयास करूंगा।” उन्होंने कहा, “हर किसी के पास जमीन और पानी पर सही है लेकिन मैं स्वीकार करता हूं कि केवल कुछ ही इन अधिकारों में हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं एक प्रतिज्ञा करता हूं कि प्रत्येक व्यक्ति के पास जमीन का एक टुकड़ा होगा और कोई भी भूमिहीन नहीं छोड़ा जाएगा। मैं यह सुनिश्चित कर दूंगा कि बेघरता अब 4 वर्षों में मौजूद नहीं है।”
एकता परिषद के संस्थापक पीवी राजगोपाल ने कहा, “केंद्र सरकार ने अगर मांगें नहीं मानीं तो 2019 के लोकसभा चुनाव में नतीजे भुगतने को तैयार रहे।” राजगोपाल के आह्वान पर वहां मौजूद हजारों लोगों ने दोहराया कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आने वाले चुनाव में केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार नहीं बनेगी।
एकता परिषद के बैनर तले देश भर के हजारों भूमिहीनों को इकट्ठा करने वाले परिषद के संस्थापक पी वी राजगोपाल का कहना है कि अपना हक पाने के लिए अपनी ताकत का एहसास कराना जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से गरीब और वंचित वर्गों को उनका हक दिलाने की बातचीत चल रही है, अगर इन मांगों को नहीं माना जाता है तो इस वर्ग को आगामी चुनाव में अपनी ताकत दिखानी होगी।