शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर धरती पर आती हैं और देखती हैं कौन सा भक्त उनकी भक्ति में लीन है. इसलिए माना जाता है कि जो भक्त शरद पूर्णिमा तिथि को रात में जागकर मां लक्ष्मी की भव्य उपासना करता है, उसपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसाती हैं.
मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन और श्रृद्धा से मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जिनकी कुंडली में धन का कोई योग ही ना हो, इस दिन की पूजा से प्रसन्न मां लक्ष्मी उन्हें भी धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं.
रात के समय मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं.
इसके बाद उन्हें गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें.
फिर उन्हें सफेद मिठाई और सुगंध भी अर्पित करें.
इसके बाद उनके मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें.
मंत्र है- “ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्मये नमः”
आपको धन का अभाव कभी नहीं होगा.
शरद पूर्णिमा व्रत विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह में इष्ट देव का पूजन करना चाहिए.
इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए.
ब्राह्माणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए.
रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए.
मंदिर में खीर आदि दान करने का विधि-विधान है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है.
शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण तिथि है, इसी तिथि से शरद ऋतु का आरम्भ होता है.
इस दिन चन्द्रमा संपूर्ण और सोलह कलाओं से युक्त होता है.
इस दिन चन्द्रमा से अमृत की वर्षा होती है जो धन, प्रेम और सेहत तीनों देती है.
प्रेम और कलाओं से परिपूर्ण होने के कारण श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था.
इस दिन विशेष प्रयोग करके बेहतरीन सेहत, अपार प्रेम और खूब सारा धन पाया जा सकता है
पर प्रयोगों के लिए कुछ सावधानियों और नियमों के पालन की आवश्यकता है. इस बार शरद पूर्णिमा 05 अक्टूबर को होगी शरद पूर्णिमा पर यदि आप कोई महाप्रयोग कर रहे हैं तो पहले इस तिथि के नियमों और सावधानियों के बारे में जान लेना जरूरी है