सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को समर्पित किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार पटेल के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी. देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में किया गया था.
इस मौके पर पीएम मोदी ने विरोधियों को भी इशारों-इशारों में निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, ”कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं, जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति से जोड़कर देखते हैं. सरदार पटेल जैसे महापुरुषों, देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी हमारी आलोचना होने लगती है. ऐसा अनुभव कराया जाता है मानो हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है.”
प्रधानमंत्री मोदी के वार पर कांग्रेस ने पलटवार किया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”मोदी जी, सरदार पटेल के प्रति आपके छद्म भाव को लेकर देश कुछ यक्ष प्रश्नों के उत्तर चाहता है- 1. क्या राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों के चलते सरदार पटेल ने 4 फ़रवरी 1948 को आपके पितृ संगठन-RSS पर प्रतिबंध नहीं लगाया था? क्या कम से कम आज तो आप प्रायश्चित करेंगे? 2. क्या 11 सितंबर 1948 को सरदार पटेल ने बीजेपी के पितृ संघठन -RSS के मुखिया, गोलवलकर को पत्र लिखकर यह नहीं बताया कि – “गाँधीजी की हत्या पर RSS के लोगों ने मिठाई बाँट खुशियाँ क्यों मनाई”?
पीएम मोदी ने कहा, ”हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरजोर जवाब दें. इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है. समाज के तौर पर एकजुट रहना है.” मोदी ने कहा, ”सरदार पटेल का ये स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान, हमारे सामर्थ्य, का प्रतीक तो है ही, ये देश की अर्थव्यवस्था, रोज़गार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है. इससे हज़ारों आदिवासी बहन-भाइयों को हर वर्ष सीधा रोज़गार मिलने वाला है.”
उन्होंने कहा कि सरदार साहब के दर्शन करने आने वाले टूरिस्ट सरदार सरोवर डैम, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे. पीएम मोदी ने कहा, ”सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, तो आज गीर के शेर को देखने के लिए, सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद चार मीनार को देखने के लिए हमें वीज़ा लेना पड़ता. सरदार साहब का संकल्प न होता, तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.” सरदार पटेल ने आजादी के साल 1947 में बंटवारे के बाद रजवाड़ों में बंटे देश को जोड़ने में अहम भूमिका अदा की थी.
सरदार पटेल की प्रतिमा के निर्माण में 2979 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. यह प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्धा की प्रतिमा (153 मीटर) से लगभग 29 मीटर ऊंची और न्यूयॉर्क स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से लगभग दोगुनी है मोदी द्वारा पटेल की इस विशाल प्रतिमा के अनावरण के बाद इसके ऊपर से भारतीय वायुसेना के तीन विमानों ने उड़ान भरी और आकाश में तिरंगा बनाया. गुजरात सरकार को उम्मीद है कि यह प्रतिमा पर्यटन को बढ़ावा देगी और रोजाना 15,000 पर्यटक इसे देखने आएंगे. सरदार पटेल की प्रतिमा के अलावा मोदी ने ‘वैली ऑफ फ्लावर्स’ और ‘टेंट सिटी’ का भी उद्घाटन किया. उसके बाद पीए मोदी ने पूजा की.