जब मध्यप्रदेश की स्थापना 1956 में हुई तो पहले क्या था ? यह सवाल ज्यादातर लोग जानने के इच्छुक होंगे, इसलिे प्रदेश की स्थापना से संबंधित कुछ खास जानकारियां हम आपको दे रहे हैं. दरअसल, देश की आजादी के पहले राजाओं की रियासतें और देशी राज्य अस्तित्व में थे. लेकिन 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद रियासतों को स्वतंत्र भारत में मिलाकर एकीकृत किया गया था. आज जो मध्यप्रदेश है वह मध्य भारत में आता था.
1956 में मध्यप्रदेश के गठन के बाद राजधानी के लिए ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर सहित कई नाम सामने आए, बताया जाता है कि भोपाल के नवाब भारत के साथ संबधों को लेकर विरोध में थे. लेकिन, केंन्द्र सरकार नहीं चाहता था कि कोई भी राष्ट्रविरोधी गतिविधि हो. इसलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरु ने सरकार वल्लभ भाई पटेल को एकीकरण की जिम्मेदारी सौंपी. बढ़ते विरोध को देखते हुए सरदार पटेल ने भोपाल को राजधानी बनाया. उसके बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित कर दिया गया. प्रदेश के गठन के दौरान कुल 43 जिले थे, लेकिन हाल ही में निवाड़ी को जिला घोषित करने के बाद कुल 52 जिले हो गए हैं.
28 मई 1948 को मध्यभारत प्रांत का गठन किया गया था. जिसमें ग्वालियर-मामला का क्षेत्र शामिल था और इस प्रांत के प्रमुख महाराजा जीवाजी राव सिंधिया थे. जिनकी रियायत ग्वालियर थी और इस प्रांत की राजधानी दो थीं. शीत ऋतु में ग्वालियर तो ग्रीष्म ऋतु में इंदौर हुआ करती थी.
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद 1952 में आम चुनाव हुए और संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए. फिर 1956 में राज्यों के पुनर्गठन को दौरान एक नवंबर 1956 को मध्यप्रदेश राज्य बना. जिसमें चार भाग थे मध्यप्रदेश, मध्यभारत, विन्ध्य प्रदेश और भोपाल. इनकी अपनी-अपनी विधानसभाएं थीं. और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर रविशंकर शुक्ल हुए थे.