उज्जैन. परंपरा अनुसार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मंगलवार सुबह दीपावली मनाई गई। रूप चतुर्दशी पर भस्म आरती में भगवान ने अभ्यंग स्नान किया। शृंगार के बाद आरती के दौरान फुलझडिय़ां छोड़ कर दीपावली मनाई गई। भस्म आरती तथा सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को अन्नकूट चढ़ाया गया।
महाकालेश्वर मंदिर में एक दिन पहले रूप चतुर्दशी से ही दीपावली उत्सव शुरू हो जाता है। रूप चतुर्दशी पर पं. महेश पुजारी परिवार और नेमनुक पुरोहित पं. राधेश्याम शास्त्री परिवार द्वारा भस्मारती में भगवान का उबटन लगाकर अभ्यंग स्नान कराया गया। उबटन में तिल, जौ और इत्र का उपयोग किया जाता है।
पुजारी परिवार की सुहागिन महिलाओं द्वारा भगवान को उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया गया। ठंड का मौसम शुरू हो जाने से भगवान अब गर्म जल से ही रोज स्नान करेंगे। आरती में अन्नकूट लगा। आरती के दौरान फुलझड़ी चलाकर दीपावली मनाई गई। अन्नकूट दर्शन सुबह 7 बजे वाली आरती के पहले तक हुए।
शासकीय पूजन में भी लगा अन्नकूट
सुबह 8 से 11 बजे तक शासकीय पूजन हुआ। भगवान को मंदिर प्रबंध समिति द्वारा अन्नकूट लगाया गया। इस दौरान भी दीपावली की फुलझड़ी छोड़ी गई। शाम 5 बजे भगवान का पूजन होगा तथा 7 बजे सांध्य आरती में भी फुलझड़ी छोड़ी जाएगी। रात 10.30 बजे से शयन आरती होगी। इसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाएंगे।
सांध्य आरती में फुलझड़ी
दीपावली पर बुधवार को भस्मआरती और दिन की अन्य पूजन आरती सामान्य दिनों की तरह होगी। सांध्य आरती में भगवान के सम्मुख फुलझड़ी चलाकर उत्सव मनाएंगे। इसके बाद शयन आरती के बाद पट बंद होंगे।
संभागायुक्त ने किया धनतेरस का पूजन
महाकाल मंदिर में धनतेरस पर सोमवार को संभागायुक्त एमबी ओझा, कलेक्टर मनीषसिंह, मंदिर समिति प्रशासक अभिषेक दुबे ने भगवान महाकालेश्वर का पूजन किया। पंचामृत पूजन अभिषेक पुरोहित समिति द्वारा कराया। इस मौके पर पुरोहित परिवार ने भगवान को चांदी का सिक्का भी चढ़ाया।