आज गोवर्धन पूजा है. दिवाली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की जाती है. मूलतः यह प्रकृति की पूजा है, जिसका आरम्भ श्री कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार, पर्वत के रूप में गोवर्धन की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुई थी और धीरे-धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हो गई.
किस प्रकार करें गोवर्धन पूजा?
प्रातः काल शरीर पर तेल मलकर स्नान करें.
घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं.
गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाएं, पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं.
मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें.
इसके बाद भगवन कृष्ण, ग्वाल-बाल,और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार पूजन करें.
पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं.
गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, प्रसाद वितरण करें और सबके साथ भोजन करें.
अन्नकूट की पूजा किस प्रकार की जाती है?
वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र,अग्नि की पूजा की जाती है.
साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयां खिलाई जाती हैं.
गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है.
इसके बाद उसकी पुष्प, धूप, दीप , नैवेद्य से उपासना की जाती है.
इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्य का भोजन बनता है.
भोजन में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं.
दूध, दही, शहद, शक्कर और घी से पंचामृत बनाएं.
इसमें गंगाजल और तुलसी दल मिलाएं.
भगवान कृष्ण को शंख में भरकर पंचामृत अर्पित करें.
इसके बाद “क्लीं कृष्ण क्लीं” का 11 माला जाप करें.
पंचामृत ग्रहण करें, आपकी मनोकामना पूरी होंगी.
गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें.
उसे फल और चारा खिलाएं.
गाय की सात बार परिक्रमा करें.
गाय के खुर के पास की मिट्टी ले लें.
इसे कांच की शीशी में अपने पास सुरक्षित रख लें.