ऊना। जिला कांग्रेस की गुटबाजी उस समय जगजाहिर हो गई, जब नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस का रोष प्रदर्शन ठुस्स हो गया। जिला अध्यक्ष को लेकर कार्यकर्ता भी असमंजस में रहे। एक तरफ जिलाध्यक्ष के नाते विवेक शर्मा ने रोष प्रदर्शन के लिए कार्यकर्ताओं को ऊना में जुटने का आह्वान किया था। दूसरी तरफ जिलाध्यक्ष की हैसियत से वीरेंद्र धर्माणी उनके बीच पहुंच गए।
विवेक शर्मा ने शुक्रवार सुबह फेसबुक पर ऊना के लोक निर्माण विभाग के विश्राम गृह से 10 बजे रोष रैली निकालने की अपील की था। लेकिन वह खुद ही तय समय से करीब दो घंटे देरी से ऊना पहुंचेे। जबकि समय पर पहुंचे जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धर्माणी ने कार्यकर्ताओं की कमी को देखते हुए पहले ही पत्रकारवार्ता करके नोटबंदी के खिलाफ रोष जता दिया।
देरी से पहुंचने के बाद विवेक शर्मा ने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ ही रोष रैली निकाली और नोटबंदी को केंद्र सरकार का काला फैसला बताया। प्रदर्शन के विफल होने के सवाल पर जिलाध्यक्ष और कार्यकारी जिलाध्यक्ष ने एक-दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ा। जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धर्माणी ने दिवाली की छुट्टियों के चलते खुद के बाहर होने की बात कही। उन्होंने रोष प्रदर्शन की जिम्मेदारी कार्यकारी जिलाध्यक्ष विवेक शर्मा की होने का तर्क दिया। धर्माणी यहीं नहीं रुके, उन्होंने बातों ही बातों में विवेक शर्मा के देरी से आने पर भी तंज कसा। दूसरी ओर कार्यकारी जिलाध्यक्ष विवेक शर्मा ने खुद के किसी काम में फंस जाने का तर्क दिया। उन्होंने कहा कि रोष प्रदर्शन का कार्यक्रम हाईकमान ने निर्धारित किया था।
रोष प्रदर्शन को लेकर कांग्रेस की गुटबाजी और तालमेल में भारी कमी दिखाई दी। इसे कांग्रेस की गुटबाजी को हवा मिली। पहले जिलाध्यक्ष वीरेंद्र धर्माणी ने रोष प्रदर्शन की बजाय कार्यकर्ताओं के साथ पत्रकारवार्ता की। इसके खत्म होने पर वहां पहुंचे कार्यकारी जिलाध्यक्ष विवेक शर्मा ने उन्हीं कार्यकर्ताओं को साथ लेकर रोष रैली निकाली। हालांकि वीरेंद्र धर्माणी भी इसमें शामिल हुए। ऊना में वीरेंद्र धर्माणी ही कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं। जबकि विवेक शर्मा को उनके सहायक के रूप में कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया है।