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MP में कांग्रेस के चाणक्य बने दिग्विजय पर्दे के पीछे से मजबूत कर रहे पार्टी…

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस 15 साल से सत्ता का वनवास झेल रही है. शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस के दो दिग्गज कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया फ्रंटफुट पर हैं. पार्टी के तीसरे नेता दिग्विजय सिंह जो पर्दे के पीछे रहकर चाणक्य की भूमिका में हैं और पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं. उन्होंने पांच ऐसे चेहरों को कांग्रेस में शामिल कराया है, जिनके आधार पर पार्टी ने बीजेपी को मात देने का सपना संजोया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके ही गढ़ में घेरने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्वजिय सिंह ने अहम भूमिका अदा की है. शिवराज की विधानसभा क्षेत्र बुधनी में किसान व ओबीसी नेता अर्जुन आर्य को पार्टी में शामिल कराया है. आर्य को सपा ने उम्मीदवार भी बना दिया था लेकिन उन्होंने टिकट वापस करके कांग्रेस का दामन थामा है.

बुधनी में लंबे समय से आंदोलन चलाने वाले अर्जुन आर्य के आंदोलन को दबाते हुए चुनाव से ठीक पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर भोपाल की सेंट्रल जेल भेज दिया था. उसके बाद अचानक से पूरे मामले को सियासी मोड़ देते हुए अर्जुन आर्य से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सेंट्रल जेल में मुलाकात कर सूबे की सियासत गरमा दी थी.अर्जुन आर्य ने कांग्रेस हाई  कमान से टिकट की मांग करके मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी, लेकिन पार्टी ने आर्य की जगह अरुण यादव को मैदान में उतारा है. ऐसे में वो अरुण यादव को पूरा समर्थन कर रहे हैं, जिसने शिवराज के लिए एक नई परेशानी खड़ी कर दी है.

मध्य प्रदेश की सियासत में दलित चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले देवाशीष झारिया को भी कांग्रेस में लाने का श्रेय दिग्विजय सिंह को जाता है. झारिया ने बताया कि वह दिग्विजय सिंह के कहने पर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वे कहते हैं कि दिग्विजय आने वाले 20 साल पहले की राजनीति को तैयार कर रहे हैं. देवाशीष झारिया ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा है. आशीष ने बसपा में अपनी सियासी काबिलियत का लोहा उस वक्त मनवाया था जब 6 लाख युवा बसपा से जुड़े थे. अब सूबे में बसपा से गठबंधन न होने के बाद वह दलित वोट बैंक को कांग्रेस के पाले में लाने की कोशिशों में जुटे हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज को एक तरफ चुनौती उनके घर में मिल रही है तो उनके लिए दूसरी बड़ी चुनौती आदिवासी चेहरे के तौर पर उभरे युवा नेता हीरालाल अलावा हैं. अलावा ने जयस संगठन के जरिए आदिवासी इलाकों में पिछले दिनों अपनी गहरी पैठ बनाई है. कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. अलावा को कांग्रेस के नजदीक लाने में दिग्विजय की अहम भूमिका रही है. ऐसे में आदिवासी नेता के तौर निमाड़ क्षेत्र में बीजेपी की परेशानी को बढ़ा दिया है. 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 32 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी. अब कांग्रेस अलावा के जरिए आदिवसियों के दिल जीतने की कोशिश में है.

शिवराज के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द व्यापम का खुलासा रहा है. इसे लोगों के सामने लाने का श्रेय डॉ. आनंद राय को जाता है. राय आरटीआई एक्‍टिविस्‍ट हैं और कांग्रेस के साथ हैं. जयस की रूपरेखा तैयार करने में उनकी अहम भूमिका रही है. वो इंदौर की नंबर 5 सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन  पार्टी ने सत्यनारायण पटेल को टिकट दिया है. हालांकि वो कांग्रेस की जीत के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं.जेएनयू से पढ़े लिखे और व्यापमं मामले में दूसरे सबसे बड़े एक्टिविस्ट रहे आशीष चतुर्वेदी भोपाल से हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है. चतुर्वेदी के कांग्रेस के करीब लाने में दिग्विजय की अहम भूमिका रही है.

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