हिमाचल के पर्वतीय क्षेत्रों में समय से पहले बर्फबारी के चलते नवंबर में ही पहाड़ ठंड से कांपने लगे हैं। मौसम के बदले मिजाज से कई क्षेत्रों में पारा शून्य से बारह डिग्री तक नीचे चला गया है। इससे लाहौल-स्पीति, चंबा और किन्नौर के ऊपरी इलाकों में झीलें और झरने जमने शुरू हो गए हैं। जनजातीय क्षेत्रों में करीब दो दर्जन प्राकृतिक झीलों पर बर्फ की मोटी परत जम गई है। बारह से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लाहौल-स्पीति की चंद्रताल, दीपकताल और नीलकंठ के अतिरिक्त चंबा के पहाड़ों पर मणिमहेश झील, लम डल, क्वारसी डल, क्यूंर डल, गरूड़ासन महादेव डल और खुंडी माता डल जैसी झीलें जम गई हैं।
हिमाचल के पहाड़ों में इस बार 22 सितंबर से ही बर्फबारी का दौर जारी है। इस कारण समय से पहले ही झीलें जमने लगी हैं। रोहतांग मार्ग पर राहनीनाला, राहलाफाल और इसके आसपास समेत लाहौल की पहाड़ियों पर बहने वाले झरने भी जम गए हैं।रोहतांग से सटे लाहौल घाटी के प्रदेश द्वार कोकसर गांव में पारा माइनस सात डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। एसडीएम केलांग अमर नेगी और एसडीएम उदयपुर सुभाष गौतम ने बताया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण तापमान में गिरावट आई है। कई झीलें जम गई हैं।
विश्वविख्यात कांगला ग्लेशियर, कुगती पास, नीलकंठ सहित कई जोतों पर तीन-चार फीट से अधिक बर्फबारी सितंबर में हो चुकी है। एसडीएम अमर नेगी ने कहा कि ठंड व बर्फबारी के चलते जिले के सभी ट्रैक रूटों पर आवाजाही बंद है। हालांकि, इससे पहले अमूमन 15 नवंबर तक देश-विदेश के ट्रैकर कदमताल करते रहते थे।