सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय के खदान में फंसे मजदूरों के मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल या केंद्र सरकार के किसी कानून अधिकारी को तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर और चिंताजनक है, इस संबंध में कोर्ट निर्देश जारी करेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए उसके द्वारा बचाव के लिए उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए हैं.
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा कि अगर सरकार कदम उठा रही है तो खदान के मजदूरों का क्या हुआ? बेंच ने कहा, ‘मजदूरों को खदान में फंसे हुए कितने दिन हो गए? क्या इस मामले में केंद्र, राज्य और एजेंसियों के बीज समन्वय नहीं है? क्या कोर्ट सेना को कदम उठाने के लिए आग्रह नहीं कर सकता? हम अभी तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं. मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है. अगर ये भी माना जा रहा है कि वो जिंदा हैं या नहीं तो भी उन्हें बाहर निकाला जाना चाहिए.’ साथ ही जस्टिस सीकरी ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि वे सब जिंदा हैं.
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र इस संबंध में नोडल अफसर बना रहा है. सेना की जगह नेवी के गोताखोरों को तैनात किया गया है. इसके अलावा एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जा रही है.