सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण के कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. शीर्ष अदालत ने फिलहाल कानून पर रोक लगाने से इनकार किया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम इस मामले को देखेंगे. 4 हफ्ते बाद इस मामले में सुनवाई होगी.
आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार ने बिना जरूरी आंकड़े जुटाए आरक्षण का कानून बनाया. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 50 फीसदी तक सीमित रखने का फैसला दिया था, उसका भी हनन किया गया. याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 जनवरी को सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण से संबंधित संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम 2019 को मंजूरी दे दी थी. इसके तहत आठ लाख रुपये तक की वार्षिक आमदनी वालों को आरक्षण का लाभ प्राप्त होगा. कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्यों में यह कानून लागू किया जा चुका है.सामान्य वर्ग आरक्षण के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है. हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से 18 फरवरी तक जवाब मांगा है. तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी डीएमके ने 18 जनवरी को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.