राज्य सरकार थीम आधारित पर्यटक सर्किट को उच्च पर्यटक मूल्य (हाई टूरिस्ट वेल्यू), प्रतिस्पर्धा (कम्पीटिटिवनेस) और स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) के सिद्धांतों पर विकसित करने का विचार कर रही है। इस उद्देश्य के लिए सभी हितधारकों की आवश्यकताओं और चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करके समन्वित प्रयास किए जाएंगे, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को अच्छे अनुभव मिलेंगे तथा रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां एमईईएचआईटी के ओजस हिरानी और हितेश त्रिवेदी द्वारा हिमाचल प्रदेश के पर्यटन विकास पर प्रस्तुति की अध्यक्षता करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में आने वाले वर्षों में पर्यटन, भारत सरकार द्वारा आरम्भ की गई स्वदेश दर्शन योजना आरम्भ होने के साथ, पूर्ण परिवर्तन की ओर अग्रसर है। राज्य की विभिन्न जलवायु परिस्थितियां, विविध संस्कृति और प्राकृतिक भव्यता के कारण यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य में स्थित कई बौद्ध मठों के मद्देनजर यहां बौद्ध सर्किट विकसित करने पर विचार कर रही है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य भी विभिन्न कला एवं संस्कृति का केंद्र है और इसका प्रभाव हिमाचल प्रदेश की कला और संस्कृति में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहाँ लोग मेलों और त्यौहारों में विश्वास रखते हैं तथा पूरे वर्ष विभिन्न अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। उन्होंने कहा कि इन सर्किटों को विविध सांस्कृतिक गंतव्यों के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां पर्यटक यहां की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का आनंद ले सकेंगे और हिमाचल प्रदेश की कला व संस्कृति के बारे में जान सकेंगे।
उन्होंने कहा कि इन पहलों से राज्य पर्यटन से अधिक राजस्व और रोजगार सृजन में ऊंची छलांग लगाएगा और साथ ही हिमाचल पर्यटकों के लिए अधिक आकर्षक स्थान बनेगा।
ओजस हिरानी और हितेश त्रिवेदी ने राज्य ने बुद्ध सर्किट, सांस्कृतिक पार्क और शिव धाम के विकास पर प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव बी.के. अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी, अनिल खाची, रामसुभग सिंह, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडू, निदेशक भाषा एवं संस्कृति के.के. शर्मा भी अन्यों के अतिरिक्त इस अवसर पर उपस्थित थे।