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4 मार्च को महा शिवरात्रि और 14 मार्च से लगेगा होलाष्टक; जानें इस माह में क्या है खास…..

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फाल्‍गुन को हिंदू कैलेंडर का आखिरी महीना कहा जाता है। इस महीने में महा शिवरात्री और होली जैसी कई महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं। यह माह मौसम के लिहाज से काफी खुशनुमा होता है। खेतों में पीली सरसों लहलहाती है, पेड़ों पर पत्तों की हरी कोपलें और पलाश के केसरिया फूल दिखाई देने लगते हैं। ये माह हमें सिखाता है कि हमेशा सकारात्मक सोचें चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। जैसे पेड़ों के पत्ते झड़ने के बाद नए पत्ते आते हैं। वैसे जीवन में दुख के बाद सुख भी आते हैं।

इस बार महा शिवरात्री 4 मार्च को पड़ रही है। इसके बाद 20 मार्च को होलिका दहन होगा और 21 मार्च को होली खेली जाएगी। इसी के साथ हिंदू वर्ष और फाल्गुन का महीना खत्म हो जाएगा। इसके अगले दिन से हिंदू कैलेंडर का पहला माह चैत्र का प्रारंभ हो जाएगा।विजया एकादशी का महत्व भगवान श्रीराम से जुड़ा है। सीता हरण के बाद लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए जाते समय जब समुद्र बाधा बना। तब श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत कर सागर पार करने में सफलता पाई और युद्ध में विजयी हुए। इस दिन भगवान वासुदेव की पूजा भी की जाती है।

इस महीने में 4 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन देशभर के सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहेगी। महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ। अधिकतर लोगों की मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वति के साथ हुआ था। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि की सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्योहार को हर-रात्रि और बोलचाल में ‘हेराथ’ या ‘हेरथ’ भी जाता है।

20 मार्च को होलिका दहन से पहले 14 मार्च को होलाष्टक लग जाएगा। इसके बाद से मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा। 21 मार्च को होली के बाद होलाष्टक तो खत्म हो जाएगा मगर मीन संक्रांति के कारण 14 अप्रैल के बाद ही मांग्लिक कार्य शुरू हो सकेंगे।

होलिका उत्सव को फाल्गुनिका के नाम से भी जाना जाता है। जिसे बच्चों के खेलों से पूर्ण और सुख समृद्धि देने वाला बताया गया है। होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। मार्च में 8 तारीख को फुलेरा दूज होने के कारण विवाह समेत मांग्लिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन बड़ी संख्या में शादी समारोह होंगे। कुछ विद्वानों के अनुसार इसमें सूर्य, गुरु आदि का बल देखने की आवश्यकता नहीं रहती, इसे स्वयंसिद्ध मुहूर्त कहा गया है। ज्योतिष गणना की बात करें तो इस दौरान 5 दिन विवाह के लग्न मुहूर्त हैं। 12 मार्च को शादी का आखिरी लग्न है, इसके बाद अप्रैल में मांग्लिक कार्यों के लिए समय मिलेगा।

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